आधुनिक हिंदी काव्य में परंपरा तथा प्रयोग | Adunik Hindi Kavya Mai Parampara Tatha Prayog

Adunik Hindi Kavya Mai Parampara Tatha Prayog by डॉ गोपाल दत्त सारस्वत - Dr. Gopal Datt Saraswat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हु 3: 3 विरोधाभास -विवेचन - चित्र परम्प रा--आलो- च्य काल में प्रतीक परम्परा--प्रकृति मूलक प्रतीक--यथार्थता मूलक प्रतीक -छन्द परम्परा--छंद का. महत्व--मात्रिक छंद सममात्रिक छन्द - अर्थसममात्रिक छन्द -- विषम मात्रिक छन्द -वर्णाबत्ति--अन्त्यानुप्रास - गीत--पाद और भाव का सम्बन्ध -- निष्कर्ष -असत्‌ का वर्णन--सत्‌ का वर्णन न करना--नियम । द्वितीय खण्ड आधुनिक हिन्दी काव्य में प्रयोग सप्तम अध्याय र७६-३१४ वस्तु उपादनों में प्रयोग--प्रयोग के प्रेरक स्रोत -वेज्ञातिक उन्नति - सांस्कृतिक पुनरुत्यान -- राष्ट्रीय आन्दोलन. स्वच्छन्दता वाद - साम्यवाद - मनोविश्लेपण -- यौन-भावना - प्रयोगवाद प्रपदयवाद --तवीन वस्तु तथा उपादान मात भूमि तिम्नवर्ग - संस्कृति -- वाद --विवेचन - राजनीति - सिद्धान्त निरूपण--पूंजोवादी वर्ग से सम्बन्धित विषय --श्रमिक वर्ग से सम्बन्धित विषय -- वैज्ञानिक विषय-- अणुवाद--पदार्थ को अनश्वरता - विकास वाद का सिद्धान्त अन्तर-राष्ट्रीय विषय सारांश । ' अष्टम अध्याय ३१५-३५५८ भाव-ब्यंजन में प्रयोग--प्रकृति विषयक रति--अव्यक्ति प्रिय विषयक रति -दास्य के छ्षेत्र में प्रयोग--व्यंग्य- व्यक्ति--परि- वार--समाज--स्वयं कवि-परिहास- मधुर हास--परोडी --वीर रस के क्षेत्र में प्रयोग -वीररस के आश्रय में परिवर्तन --वीरत्व को आश्रय नारियाँ--वीरत्व का आश्रय देशभक्ति बीरत्व का आश्रय पाठक--वीररस के नये आलम्बन--वीररस के नये संचारी भाव--विवेचन - करुण रस के क्षेत्र में प्रयोग -- राष्ट्रीय तथा सांस्कृतिक पतन से सम्बन्धित विषय दलित वर्ग से सम्बन्धित विषय -बलिदान तथा जौहर के विषय--अव्यक्त




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