बयालीस | Bayalis

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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নন 11 ननीमने सम्नीरतापूवय प~ णद गया, सु.रखानकी नैनं आयतने सः 1 साफ-साफ दिसा गया । कया सुरागरे धर्मसें ऐसी शिक्षा मही है ? 7 ঘন मुस्झराने हुए बहा-- वाट है वो मता 1 नुमा जी पड़ी £ বিন দিল [লি दुसारी--मसियदि बिलोशन परालझ भारी।! भीमने सोगके साथ रण-- मी खाल 7, कैय् शब्योपा >ह-पे.र 21 লাল ল্নানন জাহান শাহ হঙাশশি कला सास ४. करण सब्दाया (ह-प.र ৮1 यान পচ = 'बर्म सब एक है, शिक्षा सब एक है, मनय सब एप है, फेैयड जदयायके क्षस र, भीर छवती विधालताके वारण, मनुप्योते रप-रंग, सान-गान, और शिक्षा तथा शानके में भिन्नता दृष्टियो चर होती 1 यट बात भी साथ टी थाद रखो, कि यह विमिद्रना बाहरी जावरणयर्‌ है, किन्तु भत्तरतलमें--इुस बाहरी परदये भीसर অনগাযনম ह ई--मबसें एक ही मानवता हैं । गुद्ावी, जरा सोचो सो, या छआान३स, छोडा- छाल और हराम सब सामाजिक नियम हैं, जो एक समाग-विशेषम, उसही विशेश उतिके कारण उद्न हुए है और जब ये परिस्थिनियां सिद जायेगी ता थे सामाजिक उपनियम शिधिल होवार छिप्न-भिन्न हो जायेंगे। दरअसल एन सवा मगरण सानभ- मिरसकीशणसा है, और इसका जन्म इसलिए होता है, क्योंकि मनृष्योर्ग समुदाय एक रर गीमावद्ध दामे दना है। यदि पृ्वीतलके समग्र सनुष्योका सस्बन्ध एक दसरे- संबंलोग सब जगह भा जा नर्क, विचारु-चिनियम, वम्नु-विनियम, भौर मानव- ये, जञान-विनिमय, सब विनिमय होने लगें, तो यह संकीर्णवा देखनेकों नहीं गिलेगी । ने सामाजिक नियमोंके ऊपर है, वहांपर सच्ची मानवता है, इसी छिर उसकी शिक्षारें 5 तथा उनमें कोर्ट अन्तर नहीं है। कुछ सुदगर्जो ने धर्मके नामपर, छसनी ओदमें, दि-भावका जाल फँला रसा है और মতন মুলািন নন্দন হন্বী है तथा अपना ` साधन करने হি? गविने चकति नेश्म उसकी गोर्‌ देवते द्रुण कटा--“री नसीमा, तुम तौ लेक- ट्टो गयी; यह्‌ सरिवर्सन कबसे हुआ १ में कितनी बड़ी मूर्सा हैं कि तुम्हारे साथ रात- रहते हुए भी तुम्हारा भान न जान पायी। सोलह बर्षसि हमारा साथ है, किन्‍लू तुम 1 गहरी हो, इसका जान आज ही हुआ है ।” नसीमने गम्भीर स्व॒समें कहा-- यह विचार मेरे हृदयमें नये नहीं उठे है। इधर महीनोंसे अपनेमें में एक परिवर्ततन देखती हैं, और अनुभव करती हूँ । अब्बा जब कुर- पढ़कर हमें उसका अर्थं ममत्नाते तो में उन्हींपर विचार करती हैं। तुम्हारी अम्मा रामायण पढ़कर हमें सुनाती हे तब भी में विचार करती हूँ। अपने और तुम्हारे धर्ममें गई अन्तर अनुभव नहीं करती । मुझे तो ऐसा मालूम होता है कि दोनों धर्म एक दूसरे- आभासे प्रभावित है । हमारा विषय एक है, विचार एक हैं, भाव एक हैं, केवल भाषा है अबवा कलेवर भिन्न है। जब हममें इतनी एकता हैँ तब फिर यह युद्ध क्यों होता है? “भाईके खूनका प्यासा क्यों घूमता है £ एक भाई दूसरेकी छातीमें छूसा घुसेडनेके लिए आकुल रहता है ? इसका उत्तर मुझे नदीं मिद्रता 1 गुठाबकी ओर तसीम उल्मुक तथा आहत दृष्टिमे देखने लमी । गुलावने धीरे-धीरे पा जारम्म विया~-“इसका कारण हमे दूना पड़ेगा । मुझे तो यह मालूम होता




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