सुख का मार्ग समता | Sukh Ka Marg Samata

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Sukh Ka Marg Samata by पारसमल डागा - Parasmal Daga

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुख पा मार्ग--समता & पते खत वो यापः करना है, उसके अन्दर ककर पत्थर रह जायेंगे तो खेती ठो1 से नहीं हो पायेगी। इसलिए वीज वोन से पहले किसान खेत को साफ करता है, ककर पत्थरों को वाहर निकालता रै जीर दन जा समभाव से समतल करता है। आपने कभी किसानों फो देखा होगा कि किस प्रकार खेतों को साफ करके वीज बोते है, और नीज बाने के साथ ही वे निश्चित नहीं हो जाते हैं। लेकिन उसमे यदि बचरा उत्तन्न हो जाए तो उसको भी निकालने का प्रयास करते ४ और तभो जा करने थे समय के वाद फसल ही प्राप्ति 3 रते # । बेसे दी जीवन को खेती का प्रसंग है । अपने जीवन को खेती थो पकाने के लिए इस चातुर्मास के प्रारम्भ में प्रत्येक मनुष्य जपने गन सस्तिप्क में जो घिपमताओ के ककरमत्थर पड़े एए उनको वाहर निकालें, उनको फेंक दें और ककरो को फेंकने के याद फिर आगे समता सिद्धान्त दर्शन के आधार पर वीतराग নাতী বা ঘা परे और एसके साथ जो अपने लिए हितावह हो उसणा द्रण परं पौर सौ विपएम भावना है उसको छोड दें । जीवन पी, जगपर एटप ही भूमि यद सम हागी, स्वच्छ होगी तभी उसमे परम को, प्रत्सिया पुर টা ফলন অই | ওল दृष्टि से यदि मानव লা আল समता सिद्धाव दान फा जीयन मे अपनाने हष, दुन नद्य णा “पे गसम्मुय रखें नो व्ह सातुर्मासि मारे লালন समुदाय णे जिए ॐ লি 2 जाए५। > 1 पते झाए सदा हु 1




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