मगरमच्छ | Magarmachchh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० ] [ सगरमश्ठ
সপ পিসি
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মবিক্ক इसलिए कि राज उसका और सेरा मिलन पिताजी की उपस्िपि
में छऔौर उनकी इच्छा से हो रहा था। आज फोड़े भय नहीं था। मुझे
प्रतीत हुआ कि केदार भी हस बात को समझ रहा था।
विताजी ने एक कुमी सेली 1 उव पर श5 गये। केदार मेरी सारपाड़
पर एक किनारे या यह, पूद्ठा--रम्मू क्यों केसा जी है ?
मने कोड़े उत्तर नहीं दिया। उसकी और देखता भर रहा ।
उसने हिर कहा--इतने थ्रीमार हो गये घ्रौर मुझे णयर ही से दी !
उसझा सद उपारभ जातिय था, पर से व्या उतर देता ? मेरा जी
भीवर से गहगर हो गया |
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