त्वमेव माता | Tvamev Mata

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Tvamev Mata by मधुकर - Madhukar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सास ने उसकी पीठ पर गरम कडछी दाग दी और बोली कि तू ही खोटे बरम की है। मेरे एक बेटे को खा गयी । दूसरे को जेल भेज दिया ।” हृडमान साँस रोके सब-कुछ सुन रहा था। उसकी नजर के सामने बार-यार धुआँ छा जाता और वह एक क्सेली गध म डूबकर बसहाय-्सा हा उठता था। «मुझे जब पता चला कि सासरे वाले लडकी को घाट घोंटवर मारणा चाहत हैं तो मैं उसे अपणे पास ले आया । लेक्ति मुकदमे मे सव वरवाद हा गया। खेती गयी सो गयी, तकलोफें हुईं सो हुईं पर जंवाई की जान नहीं बच सकी। मेरी लडकी ने तो भूठे बयात भी दिये। देवर की हत्या अपणे मत्ये ले ली लेक्नि और सारे सबूत खिलाफ गये 1” प्नेटफाम पर घटी की टनटनाहट यूज गयी । ° पाडढी भाणेवाली है। मैं टिकट ले आऊ। ' बूढें ने चमडे की पोषों को कोट के अस्तर मे दवाच ल्या। वि हा, जल्दी करो | और--बच्चा मुझे दे दो 1 ' हडमानने वाहे फला दो थौर यच्च को गोदम लकर कम्बल से ढक दिया 1 बे ने अपने पासकी एकगठी को हिलाया हे कम्मा। उठ। गादडीभा रही है फिर हडमान से बोला यह्‌ मरी लडकी है ४” एक स्त्री अपन आपको घसीटती-समेटती हुईनसी बढ गयी। बूटा टिकट खिड़की वी ओर चला गया । हंडमान वच्चे को छाती से चिपका कर गरमी महसूस कर रहा था। चच्चे ते मुह स एक अलसायी आवाज़ निकाली और हडमान ने खुश होकर उसके टोपे पर चुम्वन जड दिया। स्‍त्री विता हिले डुले बठो थी। उसके पतले होठ कसकर भिचे थे। आँखा के नीचे रेखाआ का एक ऐसा घेरा मौजूद था जो अधिक रोने और বান रात भर जागने से बन जाता है। काले और अस्त-व्यस्त बादलों के वाच उसका चेहरा इस तरह फंसा हुआ था मानौ उसे एय से रीन गया हो । के धडघडाती हुई गाडी आ गयी । स्त्री बेचेन हो उठी। पर तभी बूढा दौडता हुआ आया और उसन स्त्री को उठा कर हाथों म भर लिया जैसे फाँती १५




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