आधुनिक शासन - विधान | Aadhunik Shasan Vidhan

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Aadhunik Shasan Vidhan by विद्याधर महाजन - Vidyadhar Mahajan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इंगलेड के संधिघान को प्रकृति ३ सर हेनरी मेन के अनुसार, “बहुत से लोग, जो अति-परिचय के कारण ब्रिटिश संविधान को तिरस्कार फो दृष्ट से देखते है, इस कथन को उपेक्षणीय सममः सकते हैं कि यह सविधान एक श्रनषम पौर নিহিত নও है (यद्यपि कछ लोग इते पवित्र वस्तु भी मानते हैं)--झपने इस रूप के कारणा यह सचमुच संसार को ईर्ष्या का विधय बन यया ओर दुनिया इसको नकल करने लगी ।” श्रेग्रतो संविधान के त्रोत (8077088 01 ६0७ 0005४1ए४०० ) डी टॉफेविल (100 '०८पए०शा!॥०) का यह कथन बहा प्रसिद्ध है, “इंगलेड में 'संविधान जैसी कोई वस्तु नहीं है।” इसी प्रकार की वात टामस উন (পৃ১07223 02819) ने इन दाब्दों में कहो थी-- क्या श्री बके (81159) प्रंग्रेजी संविधान पेश कर सकते हैं ? यदि नहीं, तो हमारा यह निष्कर्ष मिकालना उचित होगा कि यद्यपि इसकी चर्चा बहुत भ्रधिक है, तो भी संविधान नाम की किसी वस्तु का अस्तित्व ने आज है और न कभी पहले था। जॉजं অলা হা (0০০:09 799209081৮৮) কততুন हैं कि “हमारा एक ब्रिटिश सविधान है, परन्तु कोई भी नहीं जानता कि यह क्‍या है; यह कहीं लिखा हुआ नहीं है; भौर न इसमें कोई संशोधन ही किया जा सकता है । परन्तु यूनाइटेड स्टेट्स का संविधान एक वास्तविक, मूत्तं, पढ़ा जा सकने योग्य लसेस्य (0০০57007৮) है। मैं आपको उसका प्रत्येक वाक्य समझा सकता हूँ 1 यहू मानना गलत है कि प्रंग्रेजो का कोई संविधान नही है। यह सत्य है कि जिस अर्थ मे भारत, यूनाइटेड स्टेट्स भौर सोवियट संघ के लोगों के संविधान हैं, उस पथ में उनका सविधान नहीं है। भंग्रेजी सविधान इस प्रकार का कोई एक लिखित लेस्य (6०००४०॥४) नहीं है जिसकी ओर सरखतापुर्वक निर्देश किया जा सके । यद्यपि ऐसी बात नही है कि श्राप किसी पुस्तकालय में जायें श्रौर वहाँ इंगलेड का संविधान” नाम को कोई एक पुस्तक श्रापको मिल जाय, जैसे कि भारत व यूनाइटेड स्टेट्स के संविधान पुस्तक के रूप मे मिल जाया करते हैं, तो भी अंग्रेजी संविधान निश्चित रूप से उपलब्ध है और इसका अध्ययन निरूढियों ( 0017७४४०७ ) तथा इसके लिखित अश्ञों में किया जा सकता है । लॉडं ब्राइस के मतानुसार, “इंगलैंड का विधान बनता की स्मृति मे मोजूद है। हम यों भी कह सकते है कि इगलेड का संविधान लिखित पूर्वे-निदर्शनो, न्यायशास्त्रियों या राजनीतिज्ञों की व्याज्याम्रों, रूढ़ियों (०08४०05)+ प्रयाओ, राज्य की विधियों पर प्रभाव डालने वाले समभीतों * झौर विश्वासों तथा कुछ परिनियमों का समूह है । इन परिनियमों मे से कु मे छोटी छोदी ब्योरे की बातें हैँ, और कुछ प्राइवेट लाँ (्ाए४५० 189), पब्लिक लॉ (9ए७॥० 189) से सम्बन्धित बातें है। लगभग इन सब में नजीरें तथा सड़ियाँ आधाररूप में मौजूद हैं । इन सब पर कानूनी निर्णय व राजनीतिक स्वभाव छागरे हुए हैं, जिनके बिना उत परिनियमों को सागू करना प्रायः असम्भवू है, या यों कहिए कि तेव उनका झार्ये उनके घर्तेमान असली कार्य से बिलकुल भिन्‍ने हं का संविधान बडो-बड़ी संवेधानिक घटनाओं, कानूनों, न्यायिक ईद / तथा निष्ढ़ियों में पाया जाता है 1




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