राजस्थान की अर्थ व्यवस्था | Rajasthan Ki Artha Vyavastha
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. दुर्गा प्रसाद - Dr. Durga Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भातीव अर्थव्यवस्था ये रजम्थत की स्थिति
संरचनात्मक ढांचा [1
सस्वनालक दवा किसौ भौ र्ट् के विकास दा
आधार होता है। इसके अन्तर्गत प्राय शक्ति, सिवाई,
परिवहन, शिक्ष व् स्वस्थ सुविधाओं को सम्मिलित किया
जाता है। इन क्षेत्रों में राजस्थान की स्थिति का आभाम
पमलिखित विवेवन से हों सकेगा -
4. शक्ति (१०७७0 : राजस्थान में शक्ति का
प्रमुख स्रोद, जल -विद्युत व शापीय विद्युत है। गणप्रताप
सागर वेध पर खित रवतपाय क अपुर गृह भै गज्य
का महू ऊर्जा सोत है। राजस्थान के अनेक महू
उद्योगों में कीयल का प्रयोग किया जाता है। राजस्थान
ब्राकृतिक गैस का भण्डार मिलने के करण प्राकृतिक गैस भी
शक्ति का महतवपरण सम्भवित साधन् वन गया है।रज्य
खतिज तेल भी मिला है, सु बे वागिल्यिक स्तर पर
उतादा दी सिति स्ट मही ह। হাবির के गैस्परम्पणात
साधनों में राजस्थान में सौर-ऊर्जा, वायु ङ्ब व गोद गैस
की अच्छी सभावनाए विद्यमान है। विद्युत-उत्पादन की दृष्टि
से राजस्थान की स्थिति संतोषजनक नहीं है। ग़जस्थान में
पर्याप्त जल भण्डार नहीं होने के कारण राज्य के बाहर से
उल-विद्युत का आयात कला पडता है! विदुस्उतादन कौ
ध स्थान देश में दसवें स्थान पर था और देश के
25% ५५०५६ उल्पादित कर रहा था! इस दृष्टि
महग, अश्च प्रदेश,विहार, उत्तर प्रदेश आदि कई राज्य
अच्छी स्थिति में ये।' विद्युत का उपभोग भी आर्थिक विकास
ख सूचक मता जता ह विवक्ति টি पमो दी दृष्टि
से राजस्थान दसवें स्वान (269 53 ঘা হব
दृष्टि मे पथम स्यान पर पाव तचा दूसरे स्यान पर गुरतं
दा? रजस्थन कू प्तिव्यदिद विद्युत उपभोग, राष्ट्रीय
(320 10 किलोवाठ) से कम होते के कारण राज्य
पिछडेपन को दर्शाता है। मार्च 1995 में देश के औसत
[| , जब कि राजस्थान केवल
1 ` द्व उरटम ५०६७9 -
£ - বিভুর সীম (19৯৬০)
সি জিন বিহু জি (199495)
2 বিবাহ
राजस्थान में महत्वक्रम के अनुसार
सहित) नहों और दलाव सिपाई के प्रमुख साधन
विदत चे चुके थे!
[97000 -
(लक्ष
य उपलब्ध
से जाएतोगजस्थार मे
स्ये मे हे का मह निस्तर बढ़ता जा তে উবিল্বাইজ
दृष्टि मे राज्य के लिए इंदिग गाधी गहर का विशेष महल
है, दो कि राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र की कायापलर्ट कर
देगी। सिवाई के विभिन साधनों से णाजस्यान में सिधित छत
मे तिल वृद हई है, फिर भी भालत के शुद्ध सिंचित थे का
7 7% ह एषस्थान मे है। इस मकर राजस्थान का इस दृष्टि
से छठा स्थान है। यम दीन स्थानों पर क्रमश उतर प्रदेश,
अगन प्रदेश व पजाब है
3 परिवहन 0970८) - राजस्थान की दृष्टि
से सडक वं रेत परिवहन सर्वाधिक गरूर है। वायु
चरिवहर का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया है और राज्य के,
मी महत्वपूर्ण नगर इससे जुड़ ने पाये है। 12 महीने बह
वाली नदियों के अभाव के कारण आति जल परिवहन क
विकास नहीं हो पाया किन्तु राजस्थान नहर के निर्माण से
आस्क जल-पखिहन की समावनाए जम लेने लगी हैं। गज
में खनिज तेल व गैस के भण्डार मिलने से पाईपलाईन
याहायात का विकास होगा। सजस्थान की दृष्टि से सडकें
सर्वाधिक महल है, क्योंकि वेद राजस्थान के अधिका
ते ने जडी है। वमान मे प्रति 100 वा किलोमीटर में
राजस्थान में निर्मित सडकों की लबाई 4268 किलोमीटर थी
जो कि राष्ट्रीय औसत 73 कि मी से बहुत कम है।
आकडों की दृष्टि से देखा
श 6 06% पक सड़कें थी और
इस दृष्टि से क्मश महायष्ट, तमिलनाडु सबसे ओ धे
राजस्थान के प्रि तख नस्य प्र मोटरागडियों की सख्या
31 मार्व 1996 की 3551 दी और राजस्थान का इस दृष्टि
से आदब स्वान चा।रजस्यन मे पति लाख जरया प्र
मोटरगा्डियों की सख्या राष्ट्रीय औसत 3587 से कम थी।
इस दृष्टि से देश में क्रमश पजाब प्रवम स्थान पर, गुणत
दवितोय स्थान पर ओर हरियाणा तृतीय स्थाम् पर थे
বাজান ঈ ইল मागो का अधिक विकास नरी चे प्या है।
इसी कारण राजस्थान में प्रति हजार वर्ग किलोमीटर पर
रेलमर्म वी लबाई (17 02 किलोमीट0 অহী औसत (19
कर्नाटक, किलोमीट0 ঈ জম তী 3 मार्य, 1992 के इन आक्डो के
अनुसार प्रति हजार दर्ग किलोपीटर में सर्वाधिक रेलगार्ग
परिचम बगल में ये। द्वितीय स्थान पजाब एवं तृतेय হাল
हरियाणा का द। एउस्दात रेलमार्गो की दृष्टि मे 12 वे न्यात
पर था
ক্রি হিবজ্গে
ঘ
2 হয ও 95855)
2 सतख कायज मेर म যতন 01 मर्च १४४४) ष
3 एयर क्लिवेटरपरोलमर्श दी लाई (1994-02) 2
न
1
पपत সস কাপ, উপর
হও ৫8 পলা বিপল চিড়া টড পা 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...