हमारी पुत्रियाँ कैसी हों | Humari Putriyan Kesi hon
श्रेणी : कृषि, तकनीक व कंप्यूटर / Computer - Technology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ॐ
करना । ४२-रंगे दए चावलों श्रादि से श्रोंगन या तस्ते पर फूल-पत्तियाँ
बनाना । ४३--दृत्र आदि सुगन्ध न्य बनाना । ४४--जादु के खेल
व हाथ की सफाई के खेल करना ।
इनके सिवा और भी कलाएँ हैं--
४४- शरीर को स्वस्थ, नीरोग ओर सुन्दर, युवा बनाये रखने
की भिन्न-भिन्न रीतियों ओर आ्षध जानना । ४६-सुहई और धारो की भाँति-
भाँति की कारीगरी जानना । ४७७-पहेलियाँ बनाना कहना | ४८-अन्थ
पढ़ने या कविता कहने का श्रभ्याम करना । ४ ६-काव्य समस्या पूति करना ।
४०-लकड़ी, धातु के भाँति-भाँति के काम करना। €१-घर बनाने के नकश
बनाना । «र-वाग लगाना । ‰३-नैल मालिश करने ओर उबटन करने
तथा अंग-मर्देन करने की विद्या सीखना । ‰४-इशारों स॒ बात `करना ।
९९-दृसरे दशो की भापापं जानना । ५६-णशकुन श्रौर सासुद्धिक जानना ।
८७-दृसरे के मन की बात जान लेना । ४८-काव्य का संपूर्ण ज्ञान होना ।
४६-बड़े, बेडाल ओर फटे वस्छों को इस भाँति पहनना किये भद्
न लगें ओर अंग ढक जाय । ६०-चव्यायाम से शरीर को पुष्ट करना। ६१-
काम-कला का ज्ञान रखना । ६२ शिशु-पालन जानना । ६३-पति का मन
मोहने की विधि | 5४-इन्द्रजाल ।
ये ६४ कलाएं ह जिनकी शिक्षा प्राचीन काल में बालिकाओं को
मेलती थी आर वे प्रथ्वी पर रन्न के समान शोभित रहती थीं । शोक है
के इन कलाओं का आज हमें कुछ भी जान नहीं है ।
अध्याय दूसरा
खान-पान और रहन-सहन
यह बात भली भोति समम लेना चाहिए कि खान-पान और रहन-
पहन के ऊपर ही जीवन का दारोमदार है। लड़कों की अ्रपेक्षा कन््याओं
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