राजकमल वर्ष-बोध | Rajkamal Varsh-bodh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
85 MB
कुल पष्ठ :
453
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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६ * राजकमल वर्ष-बोध
. १६३१ में संख्या के ९ . प्रतिशत कम हो जाने को सेन्सस कम्तिश्नर
हन ने भ्रममूलक बताया, क्योकि उन स्त्रियों ने, जिनका निर्वाह खेती
पर ही था, अपनी गणना घरों के नोकर-चाकरों में करवाई ।
१६४१ की जन-गणना के अनुसार केवल १३६ प्रतिशत
शिक्षा जनता पढ़-लिख सकती थी । इस पढ़ने-लिखने से मतलब
गाँव से बाहर खत द्वारा अपना समाचार भेज सकना
ओर उत्तर पढ़ सकना ही है। १६३३ और १६२१ में इस तरह के पढ़े-
लिखों का,अनुपात ८० प्रतिशत और ७ १ प्रतिशत था।
विदेशों से तुलना करने से मालूम पड़ता है कि हम इस दिशा में
कितना पीडे हँ --
यमरीका ६५.९७ ‰% (१६३०) ` ख्ख 8०% (१६३३)
तुर्की... ४४६ % (१६३४) इटली ও৭,২ % (২২৭)
क लो देश जितना गरीब होता है, उसमे जन्म वा मरण `
जन्म मरण का श्रलुपात उतना ही अधिक होता है। जन्म और
। मरण के हिसाब मे शायद हमारा देश ही खवप्रथम
उहरेणा । ५१६४१ की जनगणना के समय हिन्दुस्तान में जन्म और मरण
का अनुपात १००० लोगों के पीछे क्रशः ३४ और २२ था ।
इस अनुपात में पिद्धज्ञे पचास वर्षा में कोई बड़ा भेद पड़ा हो, ऐसा
नहीं कहा जा सकता । इन दोनों के अनुपात में सभ्यता ओर स्वास्थ्य
सम्बन्धी सुविधाओं के प्रसार के साथ ही कक पड़ सकता है। লন
इस सम्बन्ध का ब्योरा देखिए-- 2 ২82
वर्ष . जन्म संख्या. मझ॒त्यु संख्या
* 1८८२-६० - देद दः
प द. 4
१९०५-4. इ. द
` १६११-२१. - इ३७ 145 ইস)
৭ইই-ই৭,.; ... २९ ১. २६
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