राजकमल वर्ष-बोध | Rajkamal Varsh-bodh

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Rajkamal Varsh-bodh by ओंप्रकाश - Omprakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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/ ৫? রি ९; রন ৭ नूः [व ঢা ঠা ध , জি हे . ; 3), ১17 , {4 : টু । ^ 1 , 4 না ১4 ক 4 ১ ५ न ^. ६ * राजकमल वर्ष-बोध . १६३१ में संख्या के ९ . प्रतिशत कम हो जाने को सेन्सस कम्तिश्नर हन ने भ्रममूलक बताया, क्योकि उन स्त्रियों ने, जिनका निर्वाह खेती पर ही था, अपनी गणना घरों के नोकर-चाकरों में करवाई । १६४१ की जन-गणना के अनुसार केवल १३६ प्रतिशत शिक्षा जनता पढ़-लिख सकती थी । इस पढ़ने-लिखने से मतलब गाँव से बाहर खत द्वारा अपना समाचार भेज सकना ओर उत्तर पढ़ सकना ही है। १६३३ और १६२१ में इस तरह के पढ़े- लिखों का,अनुपात ८० प्रतिशत और ७ १ प्रतिशत था। विदेशों से तुलना करने से मालूम पड़ता है कि हम इस दिशा में कितना पीडे हँ -- यमरीका ६५.९७ ‰% (१६३०) ` ख्ख 8०% (१६३३) तुर्की... ४४६ % (१६३४) इटली ও৭,২ % (২২৭) क लो देश जितना गरीब होता है, उसमे जन्म वा मरण ` जन्म मरण का श्रलुपात उतना ही अधिक होता है। जन्म और । मरण के हिसाब मे शायद हमारा देश ही खवप्रथम उहरेणा । ५१६४१ की जनगणना के समय हिन्दुस्तान में जन्म और मरण का अनुपात १००० लोगों के पीछे क्रशः ३४ और २२ था । इस अनुपात में पिद्धज्ञे पचास वर्षा में कोई बड़ा भेद पड़ा हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता । इन दोनों के अनुपात में सभ्यता ओर स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं के प्रसार के साथ ही कक पड़ सकता है। লন इस सम्बन्ध का ब्योरा देखिए-- 2 ২82 वर्ष . जन्‍म संख्या. मझ॒त्यु संख्या * 1८८२-६० - देद दः प द. 4 १९०५-4. इ. द ` १६११-२१. - इ३७ 145 ইস) ৭ইই-ই৭,.; ... २९ ১. २६




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