प्राचीन पंडित और कवि | Prachin Pandit Aur Kavi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48 MB
कुल पष्ठ :
145
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)`. मदावीरचरित से जो पंक्वियाँ हमने उद्धृत को हैं वही
. पंक्षियाँ, कुछ परिवर्तित रुप में, मालतीमाधय में भी हैं।......
..... यहाँ उनका आरंभ इस प्रकार छुआ है-“अस्ति दक्षिणा-
.... पथे विद्र्मेषु पद्मनगरं नाम नगरम् ”-जिससे सिद्ध होता...
.. है कि दक्षिणापथ के विद्र्भ-देश में पद्मपुर अथवा पद्मनगर
« हा था । विदृ्भ का आधुनिक नाम बरार है, परंतु बरास-प्रांत _
म पदमपुर का कदं पता नदं । यह नगर इस समय असितित्व- = *
हीन हो गया जान पड़ता है । मालतीमाधव के रीकाकार `
जगद्धर ने पद्मपुर और पद्मावती में अभेद बतलाया है, यह...
ठीक नहीं । पद्मावती, मालतीमाघच में वर्णन किए गए
मालती और माधव के विवाहादि का घटना-स्यलदहै।
डॉक्टर भांडारकर का मत है कि मवभूति का जन्मस्थान `
बरारमे कीं चद् के पास रहा दोगा । वहां छष्ण-यज्जबद
की तैत्तिरीय-शाखावाले अनेक महाराष्ट्रद्राह्मण अब तक रहते...
हैं। उनकी देशस्थ संज्ञा है और उनका सूच आपस्तंबहै। ,
... चाँदा के दक्षिण और दक्षिण-पूच उसी वेद ओर उसी सूत्रवाले ` |
= . अनेक तेलंग ब्राह्मण भौ रते है । मवभूति नै श्रपने नाटक्न
मै गोद्ादरीका जो वर्णन शिया ই उससे जान पड़तादहैकि
षद उस नदी से विशेष परिचित था। पद्मयुर शायद मोदा- রঃ
बरी के तट पर ही अथवा कट्दीं उसके पास ही रहा होगा।
আাভবীদাগন জী অভনা্থ पद्यावती-नगरी নই ই. `
कविने इस नगरी के चिहों का তন্ন ঘলা হ্যা ই। |
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