समाजवादी चिन्तंको के शैक्षिक विचारों का तुलनात्मक अध्यन | Samajvadi Chintkon Ke Shaikshik Vicharon Ka Tulnatmak aadhyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(6) चितकों के विचारों के अध्ययनोपरान्त हम यह भी देखगे कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में क्या-क्या परिवर्तन किये जाय जिससे हमारी शिक्षा समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर कर सके । प्रस्तुत शोध की आवश्यकता प्रस्तुत शोध समाजवादी चिंतकों के शैक्षिक विचारो पर आधारित है। यह तीनों ` . समाजवादी चिंतक इस देंश की विभूतियाँ रहे हैं इन्होंने देश को एक नयी दिशा देने का प्रयास किया है राष्ट्रवादी चिन्तन के साथ-साथ इन्होंने शिक्षा को राष्ट्र के विकास का 9 आधार स्वीकारा है अतएव शिक्षा के क्षेत्र में इन्होने अप्रतिम कार्य किये है । इनका सारा जीवन शैक्षिक परिवेश मे बीता है । यह अध्यापक, प्रिन्सपल, तथा प्रोफेसर रहे हैं पाल तथा कुलपति आदि पदों पर कार्य करते हुए अपने शैक्षिक विचारों को क्रियात्मक रूप १ प्रदान किया है । अतएव इनके शैक्षिक विचारों का आकलन करते हुए हम उनकी प्रासंगिता पर महत्वपूर्ण विचार करेगे तथा उपयोगी विचारो का राष्ट्रीय शिक्षा पद्धति पर समावेश कर उनका क्रियान्वयन कराने का प्रयासं किया जायेगा । हमारी शिक्षा पद्धति मे बदलाव आ सकेगा यही इसकी विशेष उपादेयता होगी | शोध की आवश्यकतौ एवं समस्या चयन जिज्ञासा मनुष्य की मूल प्रवृत्ति है। जीवन के निगूढ़ रहस्यों को ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा तथा जिन रहस्यों में मानव जीवन उलझा प्रतीत होता है उन तक पहुँचने की ललक उसे सदैव बेचैन करती रही है | जितना ही अधिक वह विश्व के रहस्य को उघाडता रहा है, . उतनी ही अधिक उसकी बेचैनी भी बढ़ती रही है ।'हम क्या है, विश्व क्या है, विश्व में जो कुछ १ श ४ घटता हे, क्यों घटता है, आदि प्रश्नो का उत्तर खोजने का प्रयास मानव आदिकाल से करता ` आ रहा है | जीवन का पट उसके समक्ष फेला हुआ है । परन्तु वह उतना सपाट नहीं ` जितना कि वह कल्पना करता रहा है | अतः एेसे प्रश्नों का उत्तर पाने, खोजने का सिः आज तक समाप्त नहीं हुभ है | वेदकालीन संस्कृति मे जीवन ओर मरण का रहस्य उजागर ` ` कठोपनिषद का नचिकेता यमराज से प्रश्न करता | जाने पर उसका क्या




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