योग आसन | Yoga Aasan
श्रेणी : इतिहास / History, योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.1 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about माँ व्रह्मशक्ति, माँ योगशक्ति - Maa Brahma Shakti, Maa Yoga Shakti
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है.
इसलिए कहा गया है “पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख घन और माया
अत: अच्छा स्वास्थ्य ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है, धन हैं।
हमारे स्वास्थ्य का. आईना मुख है । जिस प्रकार आईने में प्रतिविस्व स्प
दिखाई देता है उसी प्रकार चेहरे को देखकर कोई भी व्यक्ति किसी के स्वार'
को अन्दाज लगा सकता है । स्वस्थ व्यक्ति स्व प्रसन्न दिखाई देता है । उसः
चेहरा सर्दव खिला रहता है । वह बिना किसी थकावट के दीर्घषकाल तक कार्य व
सकता है । इसके विपरीत अस्वस्थ व्यक्ति सदव उदास तथा चिन्तित दिखा
देता हैं । थोड़ा कार्य करने के पश्चात् वह थक जाता है ।
साधन चतुष्टय की पु्ति के लिऐ यह मृत्यवान देह प्राप्त हुआ है । इसक
पति शरीर के पूर्णतः स्वस्थ होने पर ही हो सकती है । कहा भी है - “शरी
माध्यम ख्लु धर्म साधनम” अर्थात् शरीर ही धर्म साधन का माध्यम है ।
चरक संहिता में कहा गया है--धर्माषकाम मोक्षाणामारोग्यं मूलमुंत्तपग
रोगास्तस्यापहर्तारों श्रेयसो जीवितस्य च ।
भर्थात् धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और जीवन के कल्याण का सर्वोत्तम कारण
स्वास्थ्य ही है । रोग इस स्वास्थ्य को नष्ट करने वाले होते है। अस्पर्थता
से दो हानियाँ होती है । प्रथम तो शरीर पर रोग आक्रमण करके इस पर
: अपना अधिकार कर लेते है और दूसरा हमारी आय का अधिकांश भाग डावटरों
के पास चला जाता है । जितना धन जीविका पालन में नहीं लगता उससे अधिक
डाबटर की फीस तथा दवाओं में लग जाता है । इतना होनें के वाद भी रोग
का समूल नाश नहीं होता । समूल नाश होने की वात तो टूर रही अधि और
अधिक रोग प्रतप उठते हैं । क्या हमारे पास कोई ऐसा उपाय नहीं हैं जिससे इनका
समूत्त नाश हो ? इसके उत्तर में यही कहना होगा कि इसके लिए अति सरल,
सुगम और उत्तम उपाय हमारे ऋषियों और योगीयों द्वारा प्रदत्त योग विद्या रपी
अगाध खजाना है जिससे व्यक्ति स्वस्थ होकर सुधमय जीवन व्यतीत कर सकता
है । अत: यदि हुमें इस बहुत बड़े व्यय से बचना है और हि को स्वस्थ स्यना
है तो हमें आग से ही योगमार्ग को अपना सेना चाहिए । योग का सम्बन्ध शरीर
और मन दोनों के साथ है । अतः अभी भी समय है उठो, जागो, आतस्य भर
प्रमाद को छोडी यदि सुखी जीवन जीना चाहते हो।
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