तुलसी के चार दल | Tulsi ke Char Dal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गोस्वामी तुलसीदास का जीवन-दृन्त
चुके थे और उनकी जीवनी को, पाठ करने के लिये, संक्षिप्त कर चुके
ये । प्रतएव उनके द्वारा किसी प्रकार के चमत्कार का आरोप
असंभव नहीं कहा जा सकता। यही वृत्ति वाबां रघुवरदास में भी
दिखाई देती है। श्वेत सप का गोस्वामीजी के स्पश से युनि हा जाना,
उनके यहाँ पंडितों द्वारा चोरी कराते समय राम-लक्ष्मण का पहरा
देना, हनुमानजी का चोरों से उनकी रक्ता करना, भगवान् सधुसूदन
फा रामायण को सही करना, कलि की तलवार से गेस्वामीजी
का हनुमान् द्वारा वचना, जानकीजी का बालिका के रूप में
गेरामीजी को भजन कराना, गोस्वामीजी का बद्धा को युवती वना
देना, खी को पुरुष वना देना, मरे को जिलाकर विधवा को सधवा
वना देना, चरणाद्त द्वारा मत बालकों का जीवनदान देना, कृष्ण
भगवान का गेस्वामीजी के लिये राम-रूप धारण करना, राजदूतों
का कंठी-माला छीनते समय गेस्वामीजी को देखकर कांप जाना,
सन्नाट् की मूरखैता पर दिल्ली का--गोस्वामीजी की स्ठुति के कारण--
हदुमान् की सेना द्वारा विष्वंस किया जाना, गोस्वामीजी के वल्ल
के छींटों से वैश्या मे वैराग्य उत्पन्न हो जाना, गंगाजी की स्तुति
द्वारा दरीदत्त ब्राह्मण की दरिद्रता दूर करना, प्रेत की सुक्ति करना
इत्यादि इत्यादि चमत्कारपूणं घटनाओं से गास्वामीजी की जीवनी
गुँथी हुई है। इनकी चर्चा केवल्ल इसलिये की गई है कि ये गाथाएँ
गेरवामीजी के चरितन्न का एक अंग हैं। हमे इस वात से सरोकार
नहीं कि वे सत्य हैं अथवा मिथ्या। हम कोई इतिहास नीं
लिखते । हम ते गेरवामीजी का वह जीवन-वबृत्त दे रहे हैं जो लोगों
ने उनके लिये निर्माण किया है। समकालीन आऔर परवर्ती व्यक्ति
गेस्वासीजी का किस पूज्य दृष्टि से देखते थे इसका उरलेख इन कहा-
नियं मे श्रवश्य है। हिंदुस्तानी एकेडमी से प्रकारित गोस्वामी तुलसी-
दास? फे विज्ञ लेखक ने गोस्वामीजी के संबंध की प्रत्येक `
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