श्री हरिहर भक्ति रसामृत गीता | Shree Harihar Bhakti Rasamrat Geeta

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Shree Harihar Bhakti Rasamrat Geeta by कृष्णदत्त शर्मा - Krishnadatt Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ॐ ॥ श्री गणेशायनम ॥ ॥ श्री लक्ष्मीनारायणाम्या नम | श्री विश्वेश्वरी विश्वेश्वर चरण कमलेभ्यो नम हरिहर भक्ति रसामृत गीत मगला चरण श्री गणनायक गणपति विध्नेश्वर हे ईश। मन वाछित करना प्रभो आज नमत हू शीश ॥ श्री विष्नेश्वर सुत उमा भजु मन बारम्वार। शादि पूज्य यद्देव है सववे प्रिय करतार ॥ च द्रभाल गिरिजातनयको सुमिरू म भ्राज । विघ्न दुर करना प्रभो र्वना मेरौ लाज ॥ दर्‌ तविलम्बित छद गणपति गिरिजा सुत আসান करत हु तव कोमल षादहि। विनय स्नेह सप्रेम प्रणाम, तव कृपा नित मगल काम्हि। मधुर प्रेमभरी विश्वेश की, गुण कथा जगदम्बा साथमे । नित नई भवतु हिय चित्त म॑, “हरि” की प्राथना यही एक है । श्री शारद माता विनय दास “हरि!” की भ्राज । मदमतिको द्र क्र ईश प्रेम के काज 1 श्री शारद जगदम्विके वाणी की शिर मौलि। सुमति तीव्र मोहि दीजिए सुदर पद की वोलि ॥ श्री शारद मातेश्वरी करहु हृपा शब्रब झआत | शक्ति प्रभु गए गान की दो सेवक माहि जान ॥ ই ক্সম্না विश्वेश्वरी तुम जग की प्रतिपाल 1 धी वाणी निमल मुके देकर करो निहाल ॥




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