हरिश्चंद्र | HARISHCHANDRA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
20
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गिजुभाई बढेका -GIJUBHAI BADHEKA
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धमं-संकट
हाय ! हाय ! क्या इतने पर भी हरिश्चन्द्र सुखी है? क्या
भव भी तारामती हँसती है? भला विश्वामित्र से यह कंसे सहा
जाता ? श्रभी तो श्राफत के पहाड़ ट्टंगे ।
विश्वामित्र ने तक्षक नाग को बुलाया और कहा--“जाग्रो
फल चुनते हुए रोहित को डसकर उसके प्राण हर लो |
तक्षक फुलवारी में जा पहुँचा !
माँ की आज्ञा लेकर, माँ के पर छकर, रोहित बाड़ी में आया
है । धूप के मारे गाल लाल सुख हो रहे हैं! मुंह पर पसीना है।
हाथ लम्बे कर-करके फूल तोड़ रहा है। लेकिन इतने में तो “भरे
मुझे सांप ने डेंस लिया रे ! कहकर रोहित घम्म से नीचे गिर पड़ा,
झौर बेहोश हो गया ।
“दौड़ो रे, दौड़ो ! बेचारे को साँप ने डस लिया ।“ब्राह्मण का
एक लड़का धर आया, और खबर सुनाकर चला गया। तारामती
गिर पड़ी--बेहोश होकर, चक्कर खाकर गिर पड़ी ! “प्रो रोहित !
प्यारे रोहित !
पर रोहित के पास जाने कौन दे ? मालिक ने कहा--“शाम
को जाना । काम-काज पूरा करके जाना । यहाँ लड़के के लिये नहीं
झाई हो । काम के लिये बिकी हो 1”
हाय ! पहाड़ फट जायें, आसमान टूट पड़े, घरती डगमगा
जाये, छाती बिध जाये, ऐसी यह बात थी ! लेकिन तारामती तो
दासी थी । दासी का उसका घमं था ।
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हि परों काम किया । टूटे दिल से काम किया । साँक
पड़ी और बाड़ी में गई । भरे रे ! रोहित को तो साँप ने डसा था।
हाय ! उसके प्राण निकल चके थे ।
“रोहित, प्यारे रोहित ! अपनी माँ को छोड़कर तुम कहाँ
चले गये ? रोहित ! बेटे रोहित ! अरे, एक बार तो बोलो ? एक
बार तो उठो ? श्रपनो माँ को भेंटी तो दो । चमा तो लो ?
पर रोहित यों कंसे बोलता ? साँप का जहर उसे चढ़ चुका
था। और अब, अब तारामती कहाँ जाये ? क्या करे ? किसे बुलाये ?
अरे रे ! राजरानी की यह कंसी दशा ?
.. दोनों हाथों में रोहित को लाश है, और तारामती मरघट की
झोर जा रहो है । आकाश धघँघला है । तारों का तेज भी घँघला है।
चारों दिशायें ग्राज धृधली-धुंधली हैं । तारामती पर आज दुःख के
पहाड़ ट॒ट पड़े हैं ।
भयावना मरघट ! उलल चिल्ला रहे हैं। फ्िल्लियाँ मंकार
रही हैं । घोर अंधेरा है । काड़ियों और भंखाड़ों में भयावने कीड़े
भटक रहे हैं, साँप फ़ुफकार रहे हैं, बिच्छ दौड़ लगा रहे हैं, सियार रो
रहे हैं, बीच-बीच में भयंकर सनसनाहट और गर्जन-तर्जन सुनाई
पड़ता है ।
भ्रकेली तारामती और गोद में रोहित की लाश है। परे !
प्यारे पुत्र को अपने हाथों केसे दफनाया जाय ? तारामती रो रहो है।
शरीर सारा भीग रहा है। राजा की रानी श्राज कहाँ है ?
“कौन है उधर, इस काली अंधेरी रात में ? कर चराने के
लिए उधर छिपकर कौन बेठा है, यह ?
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