विज्ञान के नाटक | VIGYAN KE NATAK

VIGYAN KE NATAK  by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

विभिन्न लेखक - Various Authors

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ई4 रामसिंह रामसिंह : क्‍या होगा ? जांच तो मैंने नहीं करवाई। : तो ठीक है मक्खी मारने के लिये तलवार का प्रयोग करो, देखना कहीं तुम्हारी नाक ही न कट जावे। : तुम क्‍या कह रहे हो मुझे समझ नहीं आ रहा, मुझे क्या करना चाहिये ? : ज्यादा से ज्यादा कंपोस्ट का प्रयोग करो, घर के गोबर की खाद का प्रयोग करो। इन दोनों के बीच उचित अवधि का गेप रखें, जैविक खाद का प्रयोग भी कर सकते हो, तभी तुम्हें अच्छी फसल मिलेगी : सच है। क्या कभी ऐसा हुआ है कि मैने तुम्हारी अच्छी सलाह नहीं मानी है मैं ऐसा ही करुगा और जरूरत से ज्यादा खाद को दूसरे लोगों में बांट दूंगा। : तो तुम्हें समझ का गया कि तुम भी जड़े काट रहे थे। : हां भई हां। (गाव की ओर जाता है) (कर फिर डाल काटने लगता है। इसी बीच दो मोटर साईकिल सवार गांव से कहां आते हैं और पेड़ के नीचे रुक जाते हैं लक्षमण गाड़ी चला रहा है और मोहन पीछे बैठा है) लक्षमण /मोहन: (दोनों एक साथ) क्‍यों रे शंकर क्या कर रहा है ? शंकर शंकर : क्या तुम्हे नहीं दिख रहा डाल काट रहा हूं हां-हां, बिल्कुल साफ-साफ दिख रहा है तुम्हारी बद्धिमानी दिख रही है अगर डाल कट गई तो नीचे आ पड़ोगे और कमर ट्ट जावेगी। (ल्कुराते हुये) मुझे पता है, लेकिन तुम कहां जा रहे हों ? मोटर साईकिल दिलवाने ले जा रहा हूं शहर में वो किश्तों में मिल रही है। मैने भी ऐसे ही खरीदी थी । : क्‍या गांव में मोटर साईकेल की जरूरत है ? : क्‍यों नहीं ? हमें रोज इधर-उधर जाना पड़ता है और कभी-कभी शहर भी जाना पड़ता है। अगर मोटर साईकिल होगी तो कितना समय बचेगा ? : बात तो ठीक लगती है ? लेकिन हमारा गांव है कितना बड़ा? क्या तुम साईकिल से काम नहीं चला सकते ? और शहर कितनी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now