लो गायब हो गयीं फुंसियाँ | LO GAYAB HO GAYIN PHUNSIYAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
21
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand) कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि तुम जिस बात से परेशान हो उसे बदला
ही न जा सके -- जैसे कि आपके साथ कोई पैदाइशी समस्या या कमी हो.
उदाहरण के लिये मुझे ही ले लो. जब में छोटा था मुझे अपने चेहरे के धब्बे
बहुत खराब लगते थे. मेरे चेहरे पर करोणों दाग थे. मैं अक्सर उनके बारे में
सोचता था और परेशान रहता था. सोचता काश ये जादू की तरह गायब हो
जांय तो कितना अच्छा हो. फिर एक दिन मैंने निश्चय किया कि मैं अपने
चेहरे के दागों से परेशान नहीं होंगा. मैंने अपने मन को यह कह कर शांति दी
कि आखिर ये दाग तो मेरे अस्तित्व के ही हिस्से हैं. इससे मेरे दाग गायब तो
नहीं हुए पर में उनसे अब परेशान नहीं होता..... कुछ समय बाद ये मुझे
थोडे-थोड़े अच्छे भी लगने लगे.”
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