लो गायब हो गयीं फुंसियाँ | LO GAYAB HO GAYIN PHUNSIYAN

Book Image : लो गायब हो गयीं फुंसियाँ  - LO GAYAB HO GAYIN PHUNSIYAN

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अशोक गुप्ता - ASHOK GUPTA

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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वेन डायर - WAYNE DYER

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सेज डायर - SAJE DYRE

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि तुम जिस बात से परेशान हो उसे बदला ही न जा सके -- जैसे कि आपके साथ कोई पैदाइशी समस्या या कमी हो. उदाहरण के लिये मुझे ही ले लो. जब में छोटा था मुझे अपने चेहरे के धब्बे बहुत खराब लगते थे. मेरे चेहरे पर करोणों दाग थे. मैं अक्सर उनके बारे में सोचता था और परेशान रहता था. सोचता काश ये जादू की तरह गायब हो जांय तो कितना अच्छा हो. फिर एक दिन मैंने निश्चय किया कि मैं अपने चेहरे के दागों से परेशान नहीं होंगा. मैंने अपने मन को यह कह कर शांति दी कि आखिर ये दाग तो मेरे अस्तित्व के ही हिस्से हैं. इससे मेरे दाग गायब तो नहीं हुए पर में उनसे अब परेशान नहीं होता..... कुछ समय बाद ये मुझे थोडे-थोड़े अच्छे भी लगने लगे.”




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