बोले बोल अबोल | BOLE BOL ABOL

BOLE BOL ABOL by केदारनाथ अग्रवाल -KEDARNATH AGRAWALपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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केदारनाथ अग्रवाल -KEDARNATH AGRAWAL

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तापित-तन गेही बेचारे 6-5-85 ़् आज सुबह से शाम हुए तक 8-5-85 75 बुलाये बुलाये से आये 11-5-85 76 सिर पर चढ़े सूर्य की 12-5-85 प्रा मरना होगा यह निश्चित है 14-5-85 80 उड़-उड़ जाती 16-5-85 81 बोल बोल अबोल 17-5-85 83 टिके टेक पर स्वाँग सँवारे 17-5-85 84 अभी, आजकल 18-5-85 85 गोल गेंद से 19-5-85 86 गृह-त्यागी वैरागिन होकर 20-5-85 88 पानी हो गई 22-5-85 89 खड़ी हैं मेरे आँगन में 20-5-85 90 साल भर तक न लाये 22-5-85 91 रोया जहाँ वहाँ पर मैंने गाना गाया 27-5-85 92 तन टूटा, मन टूटा 28-5-85 93 नहीं सहारा रहा 28-5-85 95 मैं देता हूँ जनता को संज्ञान-सहारा 28-5-85 95 सोचते लोग नहीं सोचते 28-5-85 96 शब्दों का अतिक्रमण करो 28-5-85 98 सच का नाच बंदर नहीं नाच पाते 28-5-85 99 वहीं आता हूँ मैं 29-5-85 100 अशब्द की स्थिति में 29-5-85 101 क्या जाने क्‍या बात हुई 30-5-85 102 अपनी बिजली की तलाश में 31-5-85 103 उसका आना सबने जाना 1-6-85 105 जो लिखाओ वही लिखती है कलम 1-10-80 106 जानो तो क्‍या 20-10-81 109 बोले बोल अबोल / 15




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