मोरंगे - सितम्बर 2009 | MORANGE - SEP 2009

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बात लै चीत लै मेंढकी और ऊँदरो-ऊँदरी एक मेंढकी, एक ऊँदरी और एक ऊँदरो छो | एक दिन ऊँदरो पटेलॉाँ में जा बैठयौ | ऊँदरी ने मेंढकी से कही, “जा राजा को बुला ला |” मेंढकी कागलों से छुपती-छुपाती राजा ने बुलाबा गयी | जार बोली- “कोटा काटण रूई बलोचण, चलो राजन जी कॉँसो तैयार हो रयोअ |” पटेल बोल्यो, “रुको-रुको राणी सा काँई केरी है ?” मेंढकी बोली- “कोटा काटण रूई बलोचण, चलो राजा जी काँसो तैयार हो रयोअ | ऊँदरा-राजा न कहयो, “रूक जा री जाबर पीटी, जरख खावणी |” मेंढकी सरपट्या मारती फुदकती सूदी घर न आगी | घबराट करती बोली, “ राणी सा मोकू दुबाड़ दे |” ऊँदरी कही, “छाणा का परेण्ड्या में दुबड़ जा | अब पटेलां में बैठया ऊँदरा राजा ने बुलाबानै ऊँदरी राणीसा स्वयं ही पधारी | पटेल में बैठया ऊँदरा सूँ बोली- जज आ्णक अननन«-+- नम चर




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