पाठशाला -भीतर और बाहर | PAATHSHALA - BHEETAR OR BAHAR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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केवल एक सुनियोजित एवं लम्बी अवधि के शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम से मुमकिन है। एक पेशेवर शिक्षक के लिए व्यवस्थित सुगठित ज्ञान भण्डार की आवश्यकता न केवल शिक्षण- अधिगम की प्रक्रिया है बल्कि अपनी स्वायत्तता बनाने के लिए भी ज़रुरी है। एक पेशेवर शिक्षक की विशेषताओं में स्वायत्तता और ज़वाबदेही भी शामिल हैं। परन्तु, स्वायत्तता और ज़वाबदेही, समझ और अनुभव का परिणाम हैं। अगर एक शिक्षक को अपने कार्यक्षेत्र के हर पहलू- चाहे वह शिक्षण-अधिगम और आकलन सम्बन्धित हो या दूसरी शैक्षिक प्रक्रियाओं से जुड़ा हो, या उसके स्वयं के विकास से जुड़ा हो- की गहरी समझ हो, तो वह निर्णय खुद ले सकता है। अगर शिक्षा के व्यापक लक्ष्यों की समझ हो, तो अपने द्वारा लिए गए हर निर्णय के परिणाम के बारे में चिन्तन करके शिक्षक खुद ही ज़िम्मेदारी ले सकता है- उसे किसी की निगरानी की ज़रूरत नहीं होगी। एक शिक्षक को शिक्षा और उसकी व्यवस्था के विभिन्न दृष्टिकोणों की समझ भी होनी चाहिए। शिक्षा नीति और क्रियान्वयन की समझ होने पर शिक्षक अपने रोज़ के कार्यों में खास मतलब पा सकता है। जो कार्य उन्हें कठिन या अनुचित लगते हैं, उनके पीछे क्या सोच है यह समझना भी शिक्षक के लिए आवश्यक है। समाज और शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध, शिक्षा व्यवस्था के विभिन्न भागों में अन्तर्सम्बन्ध एवं इन सब का शिक्षा के इतिहास के साथ जुड़ाव- यह सब समझना एक शिक्षक के लिए अनिवार्य है। तभी वह अपने रोज़ के छोटे-छोटे और उद्देलित करने वाले किस्सों से उठकर अपना कार्य कर सकता है। पेशे की विशेषताओं में साझी व्यावसायिक नैतिकता भी शामिल है; वे मूल्य और नियम जिन को आत्मसात कर शिक्षक अपना कार्य करते हैं। चाहे वह बच्चों से प्यार या समुदाय और उसकी भिन्नताओं के प्रति आदर हो, या अपने विकास के प्रति प्रतिबद्धता हो। व्यवसाइयों की एक बिरादरी सी बन जाती है जिसमें नैतिक व्यवहार के लिखित या अलिखित नियम से बन जाते हैं। इस बिरादरी का हर एक सदस्य प्रवीणता की ओर अग्रसर होता है। आशा है कि पूर्वगामी चर्चा से यह स्पष्ट हो गया होगा कि शिक्षक के पेशेवर विकास की उपयुक्त प्रक्रियाओं से शिक्षक की पेशेवर क्षमताओं का विकास किया जा सकता है। एक प्रश्न जो शिक्षकों के सन्दर्भ में अक्सर पूछा जाता है- क्‍या शिक्षक पैदा होते हैं या उन्हें बनाया जा सकता है? इसका उत्तर स्पष्ट है- उपयुक्त प्रक्रियाओं और प्रासंगिक अनुभवों के माध्यम से छात्र-अध्यापकों को एक ज़िम्मेदार व्यावसायी बनाया जा सकता है। उपसंहार पूर्वगामी चर्चा के आधार पर एक पेशेवर शिक्षक के जो गुण उभर कर आते हैं, वे शिक्षक के सशक्तिकरण से सीधा सम्बन्ध रखते हैं- सैद्धान्तिक ज्ञान, विषयवस्तु का ज्ञान और शिक्षणशास्त्र को लेकर कार्य करने के लिए एक व्यवस्थित रूपरेखा। व्यावसायिक ज्ञान में शिक्षक के उत्तरदायित्व, शिक्षा व्यवस्था की समझ, कार्य-क्षेत्र की समझ और शिक्षा और समुदाय के अन्तर्सम्बन्ध की समझ शामिल हैं। इन सब की प्राप्ति के लिए जहाँ एक ओर एक लम्बी अवधि की औपचारिक और गहन शिक्षा की ज़रुरत है वहीं अनुभव की अहमियत, चिन्तन, स्वायत्तता एवं ज़वाबदेही भी ज़रुरी है। देखा जाए तो, शिक्षक को एक पेशेवर की तरह तैयार करना स्कूल में उनकी रोज की दिनचर्या के लिए अहम है। अपने कार्य करने की योग्यता और नई स्थितियों में शिक्षा की प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए, शिक्षक को एक पेशेवर व्यक्ति के समान गुणों का प्रदर्शन करना होगा। परन्तु शिक्षक एक पेशेवर नहीं बन पाया- एक लम्बे समय की शिक्षा की जगह, ज़्यादातर शिक्षक दो साल का 'प्रशिक्षण' पाते हैं। शिक्षक-शिक्षा नीति एक पेशेवर शिक्षक की बात 16 | भठ्श[ल| भीतर और बाहर अंक-1, जुलाई 2018 क्या शिक्षक एक पेशेवर हे?




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