आओ पता लगायें | AAO PATA LAGAYEN

AAO PATA LAGAYEN  by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजा ने कहा, “हॉ! अवश्य ऐसी 30० बिक) .> कामना की है। में इस सिंहासन पर के घय ० ि> बेठने के काबिल नहीं हूँ।' 1 || ६9 ल्‍“ततुम तीन दिन उपवास रखकर ध्यान “>/ शक करो और फिर आओ,” यह कहकर परी अपने पंख फैलाकर उड़ गई | सिंहासन पर उसका स्थान खाली हो गया। राजा तीन दिन उपवास रखकर फिर से सिंहासन पर बैठने के लिए गया | तभी एक और परी प्रकट हुई और बोली, “क्या तुमने कभी दूसरे की संपत्ति पाने की इच्छा की है?” राजा ने कहा, “हॉ! अवश्य!” उसे फिर से ध्यान करने के लिए कहकर वह परी भी उड़ गई | इस तरह सौ दिन बीत गए। अंत में, सिंहासन पर सिफ एक ही परी रह गई | उसने राजा से पूछा, “क्या तुम्हारा मन एक बच्चे की तरह साफ है? राजा ने कहा, “नहीं ।” यह सुनकर परी ने सिंहासन को उठाया और आसमान में उड़कर अदृश्य हो गई | उसके बाद उस सिंहासन को किसी ने नहीं देखा । एक दिन राजा अकेले में बैठकर सोचने लगा। उसे सिंहासन का रहस्य समझ में आ गया। जिसके पास एक बच्चे की तरह निर्मल मन वही ईमानदार हो सकता है। इसलिए जिस विक्रमादित्य के सिंहासन पर कोई राजा बैठ नहीं पाया, उस पर एक ग्वाल बालक बैठ सका। वह सही फैसले सुनाने में भी सफल रहा ।| सिस्टर निवेदिता की बाल कहानी पर आधारित ९ 8 कथा झरना टीम 2008 पी सरस्वती वी .विजयकांती २६|३॥४/(॥॥॥ 91119854॥ ः चित्रांकनः एल .एस सरस्वती एस.राजलक्ष्मी '॥811018| +0५109॥01 उमा कृष्णास्वामी




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