यूरोप की भक्त स्त्रियाँ | EUROPE KI BHAKT STRIYAN

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साध्वी रानी एलिज़ाबेथ ९, युक्त राजकुमार अपने सुसंगठित चल्थान्‌ देह, उज्ज्वल तथा विशाल टड्ट एवं मुखकी सुन्दर छठासे बड़ा ही तेजली प्रतीत होता था । बहुत दिनोंतक साप्त, ननद आदिके दिये हुए दुःखोंको सहनेके उपरान्त अब एलिजायेय अपने धार्मिक और हृदयवान्‌ साम्मीसे मिलकर आनन्दकी लहरकों दवा न सकी | राजबुमारके पूर्ण, पविन्न प्रेमसे एलिनावेयने मानों समस्त पार्थिव ऐश्वर्य प्राप्त कर लिया | राजकुमार छुई भी धर्मशीला पत्नौके भक्तिपूर्ण पवित्र हृदयपर अग्रिक्रार जमाकर छर्गीय छुखका अनुभव करता हुआ राजमहलके रत्न-माणिक्य-जनित ऐश्वर्यको तुच्छ मानने लगा | शक्तिशाली और धामिक युवकका जब भक्ति और प्रेममयो सुशीठा रमणीसे मिलन होता है तब्र उनका दाम्पत्यजीवन इसी ग्रकार अत्यन्त आनन्द- मय हो उठता है । कुछ दिनों बाद राजकुमार लुई अपनी धर्मशीला पत्नी एडिजाबेयसद्दित सिंहासनपर बैठा । उनके चरण-स्पर्शसे खण- सिंहासन पवित्र हो गया | यदि रानी एडिजावेथका ध्यान सदा अपने छ्क्ष्यपर छगा रहता था तथापि वह अपने सांप्तारिक खामीकी परिचर्या करनेमें कभी त्रुटि नहीं करती | राज-काजसे यक जानेपर राजा छुई रानीकी सेवा-मश्रपासे पुनः खस्थ और सब हो पूर्ण आनन्दका अनुभव करता । राजाके ख्थानान्तर जानेपर रानी पातित्रत-धर्मकरे अनुसार न तो श्रृज्ञार करती और




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