यूरोप की भक्त स्त्रियाँ | EUROPE KI BHAKT STRIYAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साध्वी रानी एलिज़ाबेथ ९,
युक्त राजकुमार अपने सुसंगठित चल्थान् देह, उज्ज्वल तथा विशाल
टड्ट एवं मुखकी सुन्दर छठासे बड़ा ही तेजली प्रतीत होता था ।
बहुत दिनोंतक साप्त, ननद आदिके दिये हुए दुःखोंको
सहनेके उपरान्त अब एलिजायेय अपने धार्मिक और हृदयवान्
साम्मीसे मिलकर आनन्दकी लहरकों दवा न सकी | राजबुमारके
पूर्ण, पविन्न प्रेमसे एलिनावेयने मानों समस्त पार्थिव ऐश्वर्य प्राप्त
कर लिया |
राजकुमार छुई भी धर्मशीला पत्नौके भक्तिपूर्ण पवित्र हृदयपर
अग्रिक्रार जमाकर छर्गीय छुखका अनुभव करता हुआ राजमहलके
रत्न-माणिक्य-जनित ऐश्वर्यको तुच्छ मानने लगा | शक्तिशाली और
धामिक युवकका जब भक्ति और प्रेममयो सुशीठा रमणीसे मिलन
होता है तब्र उनका दाम्पत्यजीवन इसी ग्रकार अत्यन्त आनन्द-
मय हो उठता है ।
कुछ दिनों बाद राजकुमार लुई अपनी धर्मशीला पत्नी
एडिजाबेयसद्दित सिंहासनपर बैठा । उनके चरण-स्पर्शसे खण-
सिंहासन पवित्र हो गया | यदि रानी एडिजावेथका ध्यान सदा
अपने छ्क्ष्यपर छगा रहता था तथापि वह अपने सांप्तारिक
खामीकी परिचर्या करनेमें कभी त्रुटि नहीं करती | राज-काजसे
यक जानेपर राजा छुई रानीकी सेवा-मश्रपासे पुनः खस्थ और
सब हो पूर्ण आनन्दका अनुभव करता । राजाके ख्थानान्तर
जानेपर रानी पातित्रत-धर्मकरे अनुसार न तो श्रृज्ञार करती और
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