हिंदी चेतना ,अंक -41, जनवरी 2009 | HINDI CHETNA- MAGAZINE - ISSUE 41 - JANUARY 2009
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जनवएी 2७७९
शीत
व्ठुअए बेचैन
(भाएत)
मैं नदी की घार में हूँ।
जो हृदय में है तरंगित
उस अनोखे प्यार में हूं।
मैं नदी की धार में हूँ।।
मिलन - बिछुड़न दो किनारे
हँसी मीठी, अश्रु खारे
साथ में सब हैं हमारे
प्यूप सूरज चाँद - तारे
मैं प्रवाहों की प्रभावी
पार के अधिकार में हूँ।
मैं नदी की घार में हूँ।।
भँवर भी हैं चार भी हैं
नीर की बौछार भी है
दूर तट की नव छटा है
नाव भी पतवार भी है
विरह मुझसे दूर रहना
में अभी अभिसार में हूँ।
मैं नदी की घार में हूँ।।
कभी उठकर , कभी ढहकर
कभी सहकर , कभी भकहकर
मैं नदी के साथ रहकर
साथ चलकर, साथ बहकर
सिंघु से जाकर मिलगा
बिंदु के आकार में हूँ।
मैं नदी की धार में हूँ।।
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नए साल में आपकी जय हो
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नया साल हमसे दक्षा न कऐ
शए जाल जैसी उदठ्बता न कऐ
अभी तक है छलनी है हमाश ड्ाहए
नया जछव्म पत्राए उद्ुदा न कऐ
नए साल में एब से मारे ढुआ
किसी क्छो किसी से जुदा न कऐ
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22: 27-06: औै:। ८ है कै: 212
फछिड्ता तुझे मान लेशा जहां
अगए तू किसी का बुण न कऐ
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तुझे भूल जाऊं खुदा न कऐ
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