हिंदी चेतना ,अंक -41, जनवरी 2009 | HINDI CHETNA- MAGAZINE - ISSUE 41 - JANUARY 2009

Book Image : हिंदी चेतना ,अंक -41, जनवरी 2009 - HINDI CHETNA- MAGAZINE - ISSUE 41 - JANUARY 2009

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

विभिन्न लेखक - Various Authors

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जनवएी 2७७९ शीत व्ठुअए बेचैन (भाएत) मैं नदी की घार में हूँ। जो हृदय में है तरंगित उस अनोखे प्यार में हूं। मैं नदी की धार में हूँ।। मिलन - बिछुड़न दो किनारे हँसी मीठी, अश्रु खारे साथ में सब हैं हमारे प्यूप सूरज चाँद - तारे मैं प्रवाहों की प्रभावी पार के अधिकार में हूँ। मैं नदी की घार में हूँ।। भँवर भी हैं चार भी हैं नीर की बौछार भी है दूर तट की नव छटा है नाव भी पतवार भी है विरह मुझसे दूर रहना में अभी अभिसार में हूँ। मैं नदी की घार में हूँ।। कभी उठकर , कभी ढहकर कभी सहकर , कभी भकहकर मैं नदी के साथ रहकर साथ चलकर, साथ बहकर सिंघु से जाकर मिलगा बिंदु के आकार में हूँ। मैं नदी की धार में हूँ।। [...-्-1-1-उ<-1ख0ञ<_<-र्<ऊ<ऊ-<-<-<-<-<-<1-11 नए साल में आपकी जय हो (नह «०8 टकिताल ) ४ नया साल हमसे दक्षा न कऐ शए जाल जैसी उदठ्बता न कऐ अभी तक है छलनी है हमाश ड्ाहए नया जछव्म पत्राए उद्ुदा न कऐ नए साल में एब से मारे ढुआ किसी क्छो किसी से जुदा न कऐ १7६2 कै (1- 1 1 0: “(2 22: 27-06: औै:। ८ है कै: 212 फछिड्ता तुझे मान लेशा जहां अगए तू किसी का बुण न कऐ 1८ (1 की 1 हक तुझे भूल जाऊं खुदा न कऐ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now