नक़ल बिन अकल | NAKAL BIN AKAL

NAKAL BIN AKAL by गिजुभाई बढेका -GIJUBHAI BADHEKAपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रार्थना करके मनाही करवा देता हूं कि इस बारे में कोई भी आदमी किसी से कुछ न कहे ।' दूसरे रोज सवेरे दरबार में जा कर संत्री ने राजा से गुजारिश की। राजा ने सारे गांव में ढिंढोरा पिटवा दिया “बेगम बटाना का यह राज कि उसने धड़ाम से डकार मारी थी, कोई किसी से नहीं कहेगा ।'




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