मोरंगे - फरवरी 2010 | MORANGE - FEB 2010 - CHILDREN'S MAGAZINE
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
48
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पीतल की गागरी
लोक वाद्य -'नौबत'
पीतल की मोरी गागरी
दिल्ली से मैंने मोल मँगाई रे
अपना मुखड़ा नया लगा
हम जब-जब देखें पानी में
ओ हम जब-जब देखें पानी में
बदनामी हो गई गाँव में
सुनकर कोयल की आवाज
हम जब-जब देखें पेड़ों पर
ओ हम जब-जब देखें पेड़ों पर
पगली सी होकर डोलूँ रे
गगरी में हम पानी भरके
जब-जब चलते राहों में
ओ हम जब-जब चलते राहों में
पैरो में छाले हो गये रे
पीतल की मोरी गागरी
दिल्ली से मैंने मोल मँगाई रे
प्रस्तुति-
नवीन अरोड़ा, शिक्षक, जगनपुरा
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