बाढ़ और सूखा | FLOODS AND DROUGHTAN

FLOODS AND DROUGHTAN  by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जानकारी द् | लिए ३ प | | आह हा ता शत भाग ्ाा्र््ाभा चकित दब 5 कान जया मिल ता ता जा 8,100 1 0, न जा दाग, भा, जन हा बन नह गत 1700 11777717777/7777//777717 71777: 70777: 72777 77717 00777 27777 77000 770 30 77200 5:70 08700 7800७ //.0.7770/:: 07077: /7:7720-77%: 77777: तमाम तप जप मम जम हज यह 8100 17801 15,102 3, 20 88.1 1081० 27 ह ० गन पालन ता हा 11011 01101 18 1 ॥ 5 1 हो ॥ आह ॥ा ते ॥ 11871 1117 18 61 ॥ 81161 1 81 ॥ 1.०7 बग॥ 2 2 8 अप 8 अत जलन अब अब क 11 811 811 0, 11 01130 17772: 72/24/7470 70170:70777072/:0707 20017: 70400 1771017॥/ 1070 70177: गा था 0 8 8० दा रण 2 जाके तब बन बम 2 तय न बे न नीम न मनन बन बन अन्न बन बनी जल्जॉग ४ जो 1. (50 गा १5० गा 2 गत माह ॥20०,०.१०२०११ गन गन ग्जव ० बाग गगन कक कज कक पा जो वर्षा का जल गिरता है वह दो तरह से आगे बढ़ता है। कुछ हिस्सा सतह पर बहता हुआ कल धाराओं में मिल जाता है। कुछ भूमि के भीतर रिस कर भू-जल भण्डारों में समा जाता है । इन दोनों प्रकारों से पानी का बहना अति महत्वपूर्ण है क्यों कि इनसे वर्षा का पानी ऐसे स्थानों पर पहुँचता है जहाँ से वर्षीकाल के बाद भी पानी प्राप्त किया जा सकता है । जिस क्षेत्र से बह कर पानी किसी जलाशय में आता है वह क्षेत्र उस जलाशय का जल-हण क्षेत्र कहलाता है । सतह से ही दह जाने वाला पानी अनेक जलगोतों के लिए आवश्यक होता है | उनका स्थायी रूप से बने रहना इसी पर निर्भर करता है कि उन्हें यह पानी निरन्तर मिलता रहे । सतह से बह जाने वाला पानी झीलों को वाष्पीकरण के कारण सूख जाने से रोकता है और नदियों के पानी को निम्नतम स्तर से नीचे गिरने से बचाता है । सतह से बहता जल एक बहुमूल्य संसाधन है जिसका मनुष्य सिंचाई, बिजली उत्पादन, परिवहन तथा घरेलू आवश्यकताओं के लिए उफ्योग कर सकता है - लेकिन तभी जब दुरुपयोग से इसे अनुफ्युक्त न बना दिया जाए | सतह पर बहते जल के साथ रासायनिक खाद, कीटनाशक, शहरों और उद्योगों की गन्दगी आदि जलझायों और नदियों में मिल जाती हैं । बहता जल एम और गाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए भी उत्तरदायी है। यह गाद नदियों और जलएायों में जमा हो कर बाढ़ की सम्भावना को बढ़ाती है | इस गतिविधि में विद्यार्थी किसी निश्चित स्थान पर पड़ने वाली वर्षा की मात्रा और वर्षा के दौरान गिरने वाले पानी के भार का ऑकलन करते हैं। वे अपने विद्यालय में खेल के मैदान या अन्य किसी स्थान का क्षेत्रफल माप ही हैं। वर्षा के आँकड़े समाचारपत्रों के प्राप्त कर सकते हैं या उस क्षेत्र में होने वाली वर्षी को वर्षीमापी से माप सकते हैं ॥ क्षेत्रफल को वर्षा की दर से गुणा कर के वे उस क्षेत्र में पड़ने वाली वर्षी के आयतन का पता लगा सकते हैं । इस गतिविधि में विद्यार्थी यह समझेंगे कि वर्षा से हमें कितनी अधिक मात्रा में पानी उपलब्ध होता है, और यह सब पानी कहाँ जाता है। यह चर्चा प्रारम्भ करने का रोचक विष्य है। आप समझा सकते है' कि वर्षा के पानी का कुछ अंश सतह पर बह जाता है जिसका कुछ हिस्सा पौधों द्वारा सोख लिया जाता है, और कुछ झीलों और नदियों में इकट्ठा हो कर सभी जीवो' के लिए उपयोगी बनता है । कुछ अंश भूमि में रिस कर भू-जल भण्डार बन जाता है । विद्यार्थी सूले के समय में होने वाली पानी की कमी का वर्षा के रूप में प्राप्त होने वाले पानी की विशाल मात्रा से सम्बन्ध स्थपित करते हैं। इससे वे यह भी समझेंगे कि वर्षा के बाद के शेष आठ के में सूजे से सुरक्षा के लिए प्राकृतिक जल-भण्डारण प्रणालियों की इतनी आवश्यकता क्‍यों' 9.




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