मुर्गी के चूजे | MURGI KE CHOOZE
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
401 KB
कुल पष्ठ :
17
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
निकोलाई नोसोव - NIKOLAI NOSOV
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारी गलती
हम लोग अपने काम में इतने मगन थे कि सुबह कब हुई इसका
हमें पता ही नहीं चला। सूरज की किरणें अब रसोईघर के फर्श पर
पड़ रही थीं।
जल्दी ही सब लड़के भी आ गए जेन्या और कोत्सया सबसे पहले
आए।
“आओ प्रकृति का एक अजूबा देखो, '' मिश्का ने कहा। लड़के
गंभीरता से चूजे का मुआयना करने लगे। जेन्या ने मिश्का से जाकर
सोने को कहा। पूरी रात जागने के कारण मिश्का की दोनों आंखें
लाल हो गईं थीं। इतनी देर में कुछ और अंडों में से भी चूज़े निकल
आए थे। मैंने इनक्यूबेटर के अंदर से अंडों के खोल नंबर 4, 8 और
10 बाहर निकाले। पर यह कहना कठिन था कि किस अंडे में से
कौन सा चूज़ा बाहर निकला। परंतु नंबर 5 का चूजा अभी भी बाहर
नहीं निकला था। शायद वह कुछ कमज़ोर था। हमने उसके छेद को
कुछ बड़ा किया। उसके अंदर चूज़ा दिखाई भी दिया। वह ज़िंदा था
ओर अपना सिर हिला रहा था। उसे हमने दुबारा इनक्यूबेटर के
अंदर रख दिया।
पर अंडों के फूटने के लिए हमें एक दिन इंतज़ार क्यों करना
पड़ा? कहीं हमने हिसाब में कोई गलती तो नहीं कर दी थी? और
वास्तव में जब हमने दुबारा और सही तरीके से दिनों को गिना तो हमें
अपनी गलती का अहसास हुआ। हम गिनते समय एक दिन खा गए थे।
अगर हमने ठीक तरह से गिना होता तो हमें इतनी परेशानी नहीं
उठानी पड़ती।
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जन्मदिन
दिन खत्म होने तक हमारे गर्म तसले में दस चूज़े इधर-उधर दौड़
रहे थे। नंबर 5 वाला सबसे आखिर में निकला था। हमें अंडे के खोल
को थोड़ा तोड़ना पड़ा जिससे कि बाहर निकलने में उसे कुछ आसानी
हो। वह अन्य चूज़ों से छोटा और कमज़ोर लग रहा था। शाम तक
इनक्यूबेटर में केवल दो अंडे ही बाकी बचे थे। हमने लैम्प को रात
भर जला छोड़ा लेकिन शायद उससे भी कुछ फायदा नहीं हुआ।
दसों चूज़ों ने अपनी रात गर्म तसले में बड़े मज़े में बिताई। उनमें
से कुछ अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे थे जबकि बाकी
तेज़ी से दौड़ रहे थे। वह अपनी चोंच को तसले से मार रहे थे जैसे
कि वह कुछ चुगने की कोशिश कर रहे हों।
“ऐसा लगता है जैसे इन्हें भूख लगी है, '' मिश्का ने कहा। हमने
जल्दी से एक अंडे को उबाल कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके
उन्हें ज़मीन पर बिखरा दिया। परंतु चूज़ों ने उन्हें बिल्कुल नहीं खाया।
फिर मिश्का ने अपनी उंगली से ज़मीन पर टप-टप किया। चूज़े भी
उसकी नकल करने लगे और खाने लगे। हमने एक कटेरे में पानी
भी रखा जिसे उन्होंने फौरन पी लिया।
उस दिन सब बच्चों ने स्कूल में प्रकृति-शास्त्र की शिक्षका मारिया
पेट्रोवना को चूज़ों के बारे में बताया। यह तय हुआ कि सब बच्चे चूज़ों
के जन्मदिन पर कुछ न कुछ उपहार लाएंगे। और सब बच्चे चूज़ों के
जन्मदिन की पार्टी मनाने आएंगे।
मैं और मिश्का बच्चों के आने का और उनके उपहारों का इंतज़ार
करते रहे। कुछ बच्चे तो फूल लाए। सद्भावनाएं व्यक्त करने का यह
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