हिंदी चेतना -विशेष अंक - डॉ० कामिल बुल्के | HINDI CHETNA- SPECIAL ISSUE ON FATHER CAMIL BULCE - 2009

HINDI CHETNA- SPECIAL ISSUE ON FATHER CAMIL BULCE - 2009 by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

विभिन्न लेखक - Various Authors

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सोल्दात” ; यहाँ एक भी सैनिक नहीं और जर्मन आगे बढ़ गये। जब कभी फ़ादर बुल्के मदर ग्रेरट्रढ की चर्चा करते, तो वह उनके घर्माचरण और सेवानिष्ठता के साथ उनके साहस की इस घटना का उल्लेख अवश्य करते। लेकिन फ़ादर बुल्के के आरंभिक जीवन पर अन्य कई प्रभाव पड़े थे। उनके परिवार से कुछ ऐसे लोगों की मित्रता थी, जो कलाओं की दुनिया के आदमी थे। उनमें एक थे , ब्रदर इल्देफोन्स, जो उपन्यास-लेखक और संगीतकार थे, दूसरे थे ब्रेम्स जो चित्रकार थे। उन पर अपने गाँव के प्राकृतिक सौंदर्य से मंडित, हार्दिकतापूर्ण और सरल परिवेश का प्रभाव भी पड़ा था तथा बचपन से ही आत्मीय सम्बन्धों में जुड़े हुए साथियों और मित्रों की मंडली का भी। फ़ादर बुल्के ने समवयस्क ग्रामवासी मित्रों के साथ लिस्सेवेगे की पहली फुटबाल टीम की स्थापना की थी। लिस्सेवेगे से तीन किलोमीटर की दूरी पर उत्तर समुद्र है, जिसका गर्जन आसपास के गाँवों तक दिन-रात सुनायी देता है। गाँव से समुद्र तक एक पक्की लंबी सड़क है और फिर समुद्र के किनारे-किनारे एक पतली लंबी सड़क, जो साईकिल चलाने के लिए बनायी गयी है। फ़ादर बुल्के अक्सर पैदल या साइकिल से समुद्र के किनारे जाया करते, उसके तट की समानान्तर सड़क पर तेज हवाओं के विपरीत साइकिल चलाते या बालू पर बैठ कर मनोरंजन किया करते। क्छाभिल बुल्के के गाँव का वह प्रसिद्ध चमत्व्ठाएी गिएजापघ्ए जिसे तीर्थस्थल क्ठी मान्यता प्राप्त है । कान्वेण्ट की शिक्षा समाप्त होने पर फ़ादर बुल्के का दाखिला गाँव के नगरपालिका स्कूल में हुआ, जहाँ के प्रधानाध्या- पक उनके सहपाठी और मित्र रेमों के पिता थे। देखते-देखते वहाँ की शिक्षा भी समाप्त हो गयी। लिस्सेवेगे में उच्च विद्यालय नहीं था और वहाँ के जो लड़के-लड़कियाँ आगे पढ़ना चाहते थे, वे या तो ब्रुगे जाते या समीप के किसी कस्बे के उच्च्च विद्यालय में नाम लिखाते। ब्रुगे के उच्च विद्यालयों में हर विद्यार्थी का प्रवेश संभव नहीं था, लेकिन कामिल बुल्के जैसे प्रतिभाशाली छात्र के लिए यह कोई समस्या नहीं थी। 1921 ई. में उन्होंने ब्रुगे के संत फ्रांसिस जेवियर विद्यालय में नामांकन कराया, जहाँ वह 1928 ई. तक पढ़ते रहे। वह प्रतिदिन गाँव से ट्रेन द्वारा ब्रुगे जाते और साँझ को घर लौट आते। अपने विनम्र मधुर स्वभाव और बौद्धिक प्रखरता के कारण वह विद्यालय में अपने अध्यापकों और सहपाठियों के प्रिय हो गये थे। हाई स्कूल का अध्ययन पूरा करने के पहले ही उन्होंने यह सोच लिया था कि यहाँ से उत्तीर्ण होने के बाद वह इंजीनियरिंग पढ़ेगे, क्योंकि उस समय इंजीनियरिंग की डॉ. कामिल बुल्क विड्ञेषांक : जुलाडे २००९ प्रवेश-परीक्षा सबसे कठिन समझी जाती थी। इसलिए 1928 ई. में उच्च विद्यालय की परीक्षा पास करने के बाद वह इंजीनियरिंग की प्रवेश-परीक्षा देने लूवेन गये। स्वयं परिवार के लोगों को विधास नहीं था कि उन्नीस बरस का कामिल इतनी कठिन परीक्षा में उत्तीर्ण हो सकेगा। किन्तु जब वह इस परीक्षा में प्रथम आये, तो उन्हें बड़ा आश्चर्य और प्रसन्नता हुई तथा गाँव लौटने पर बचाई देने वाले पड़ोसियों, मित्रों और सम्बन्धियों का ताँता लग गया। लिस्सेवेगे के लिए तो अपने यहाँ के किसी लड़के के हाई स्कूल पास कर विश्वविद्यालय में प्रवेश करने की यह पहली घटना थी। 1928 ई. में फ़ादर बुल्के ने लूवेन विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन कराया। लूवेन लिस्सेवेगे से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व की ओर है। यह बेलजियम की राजघानी ब्रुसेल्स के समीप है और यहाँ का विश्वविद्यालय यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में है। फ़ादर बुल्के के अध्ययन-काल में यह विश्वविद्यालय फ्लेमिश आन्दोलन का अत्यंत महत्त्वपूर्ण केन्द्र था। यहाँ आते ही वह इस आन्दोलन में सम्मिलित हो गये और शीघ्र ही उनकी गणना इसके अग्रणी छात्र-नेताओं में होने लगी। होश सम्हालने के बाद के दिनों से ही उनके सामने यह बात स्पष्ट थी कि बेल्जियम के फरेंचभाषी लोग फ्लेमिश-भाषियों के शोषक हैं, क्ठामिल बुल्के के गाँव क्ठे गिएजाघए में स्थित कुॉवारी मएियम की मूर्ति - न केवल बेलजियम की फ्रेंचभाषी अहंमनन्‍्य जनता फ्लेमिश भाषा को असंस्क॒त और तुच्छ मानती है वरन्‌ फ्रैंच भाषा और संस्कति का भक्त फ्लेमिश अभिजात वर्ग भी उसे इसी दृष्टि से देखता है और दोनों की मिली भगत से फ्लेमिश जनता अपने ही देश में परदेशी हो गयी है। हर फ्लेमिश गाँव की तरह लिस्सेवेगे में भी इन सब बातों की चर्चा हुआ करती थी। अदोल्फ बुल्के का पूरा परिवार मातृभाषा-भक्त था। लूवेन विश्वविद्यालय के फ्लेमिश आन्दोलन कर्त्ताओं की तरह फ़ादर बुल्के भी फ्लेमिश जनता पर सरकार द्वारा फ्रेंच थोपे जाने के कट्टर विरोची थे। वह इस आंदोलन की गतिविषघियों में भाग लेने के लिए अपनी कक्षाएँ तक छोड़ देते थे और यदि उनकी कक्षाओं में कोई अध्यापक फेँच में व्याख्यान देता, तो वह जब तक बोलता रहता, फ़ादर बुल्के अपने सहपाठियों के साथ जोर-जोर से फ्लेमिश गीत गाते रहते। लेकिन कामिल बुल्के, जो देखते-देखते अपने विश्वविद्यालय और नगर के भाषा-आन्दोलन के एक अत्यंत लोकप्रिय छात्र नेता बन गये थे, अपनी असाधारण मेघचा और - 12८. -




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now