हमारे समय में श्रम की गरिमा | HAMARE SAMAY MEIN SHRAM KI GARIMA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कांचा आइलैया - KANCHAN ILLIAH
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ठगारे ग्गय में श्रम की जरिया 1५
हमें हमारी बुनियादी खाद्य संस्कृति दी। जहाँ कुछ आदिवासियों ने आधुनिक तालीम हासिल करके अपने को
आज की ज़िन्दगी के अनुकुल बना लिया है, ज़्यादातर आदिवासी अभी भी जंगलों और पहाड़ों पर रहते हैं।
हमारी बुनियादी खाद्य संस्कृति विकसित करने की खातिर अपने जीवन और अंगों को खतरे में डालकर पाए
ज्ञान को आदिवासियों ने दूसरों के साथ बाँटा। इस ज्ञान को उन्होंने मौखिक रूप से भी गीतों और कहानियों
द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया। आयुर्वेद और सिद्ध चिकित्सा पद्धतियों में उपयोग किए जाने वाले कई
औषधीय पौधे मूलतः आदिवासियों द्वारा पहचाने गए थे। आज व्यापारिक तौर पर निर्मित की जा रही गोंदों,
लीसा और रंगों को भी सर्वप्रथम आदिवासियों ने ही खोजा था। हमें आदिवासियों का न केवल सम्मान करना
चाहिए बल्कि उनसे बहुत कुछ सीखना भी चाहिए। समाज पर उनका ऐतिहासिक ऋण है और शिक्षा तथा
आधुनिक रोज़गारों में उन्हें तरजीह मिलनी चाहिए। #िद
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