हे मेरी तुम | HE MERI TUM

HE MERI TUM by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaकेदारनाथ अग्रवाल -KEDARNATH AGRAWAL

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चढ़ी जवानी-बरसा पानी हे मेरी तुम! चढ़ी जवानी- बरसा पानी; झूमी-झूली डाल- काल के खड़े पेड़ पर डाले झूला। हे मेरी तुम! ऊपर बाग-हर्ष का फूला; नीचे यम का पड़ा बसूला। 29-/-1993 हे मेरी तुम /15




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