मुझे गणित अच्छा क्यों लगता है ? | WHY I LIKE MATHS

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रोहित धनकर - ROHIT DHANKAR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वे किसी व्यक्ति की प्रतिभा को उसकी गणितीय क्षमताओं और गणित की समझ के आधार पर ही नापते थे। यह शायद मुझे तब समझ नहीं आता था लेकिन जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो पाता हूं कि वे जब भी कभी तीव्र बुद्धि व्यक्ति का उदाहरण देते थे तो वे प्राय: गणितज्ञों के उदाहरण हुआ करते थे| गणित को अच्छी तरह से समझना और गणित में खूब अच्छी तरह से काम कर पाना उनके लिए बुद्धिमत्ता का प्रमाण था| जब मैं गणित में अच्छा करता था या लोगों की दी हुई समस्याओं का हल करता तो देखता था कि वे बहुत संतुष्टि महसूस कर रहे हैं। ये दूसरी बात है जो गणित के प्रति मेरा रुझान बढ़ाने में मददगार साबित हुई। कक तीसरी बात जो मुझे महत्वपूर्ण लगती है, वो एक विशेष घटना है या यों कहें कि तीन-चार मिली-जुली घटनाएं हैं| एक तो जब मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता था तब की बात है। हमारा स्कूल लगभग बंद था। नाममात्र को ही चल रहा था। मेरे पास तीसरी कक्षा की सभी पुस्तकें तो नहीं थीं - सिर्फ गणित की ही किताब थी। मैं उसी को पढ़ता रहता था। हमारे गाँव के और भी बड़े बच्चे स्कूलों में जाते थे - छठवीं, सातवीं, आठवीं में पढ़ने वाले। उनमें से एक मेरे चाचा भी थे। मैं उनसे सवाल पूछता रहता और खुद करता था। इससे भी शायद रुझान बना। घटनाओं के क्रम में एक और चीज है जिसका मुझे लगता है कि काफी बड़ा हाथ है गणित के प्रति मेरी समझ बनाने में। मैं छठवीं या सातवीं में था तब हमारे एक शिक्षक थे। बच्चे उन्हें बहुत पसंद करते थे लेकिन स्कूल का संचालक शायद उन्हें बहुत पसंद नहीं करता था। स्कूल पूरी तरह से ऐसे लोगों के हाथ में था जो शिक्षा के बारे में तो कुछ भी नहीं जानते। बस सेठों से पैसे लाने में सक्षम थे और राजनीति किया करते थे। उन्होंने अपने एक व्यक्ति को प्राइमरी से मिडिल में लाने के लिए हमारे शिक्षक को हटाकर प्राइमरी में लगा दिया। जो शिक्षक हटाए गए थे पिताजी जब किसी तीद्न बुद्धि व्यक्ति का उदाहरण देते तो वे प्रायः गणितत्ञों के उदाहण हुआ करते। गणित को अच्छी तरह से समझना और उसमें खूब अच्छी तरह से काम कर पाना उनके लिए बुद्धिमत्ता का प्रमाण था। संदर्भ नवस्बर-दिसम्बर 1994




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