आत्मगंध | ATMAGANDHI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
209
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
केदारनाथ अग्रवाल -KEDARNATH AGRAWAL
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फूला खड़ा है
धुआँ है
न उगीं जहाँ कभी पहले
हम जीते हैं
स्वार्थ सिद्ध होता है उनका
कुछ है, इस जंगल में
घड़े में
तृण हैं
शोर है-जनाब !
घर की घुटन में पड़ी औरतें
देखे देश
'सच' अब ऐसा नासमझ हो गया है
ठहरो, ठाकुर, ठहरो
देह में देशी
लम्बान में लम्बे हुए
गया पचासी
हरेक जीता है यहाँ समाज में
मर्त्यलोक में
'सच' अब नहीं रह गया 'सच'
हम मर गये आपके लिए
सुनो
मिलते नहीं वे
जीने के नाम पर जीते हैं वे “न जीना'
कुछ हैं
हम नहीं जीते उनको
खेत और खेत हैं
तुम टुइयाँ हो
कहे न चाहे कोई भकुवा
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