मानवता , विशेष अंक | MANAVTA SPECIAL ISSUE- GITA PRESS

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# ढ्त श्र जननी, ४७-पतनके स्थान ः ( ्ु ) मयूर यूस्रीपर ये (१ ) सिनेमा पा ? एड 0 २-गोडियेंगा फोर अगर नरीं (२) क्लब 1४ 17 एड४ +-युद्ध ओर शान्सि का (३ ) घुडदौड़ हा ** ७४... ०४-सती नारी (४ ) जुआ गज *** ७४४ (१ ) न्पप्रियी * ४८-मानवताका दुरुपयोग *** 1 एडए (२) सोठा ; ४९-दानवताके दहकते दावानलमें मानवताके दर्शन (३ ) गान्धारी है ( श्रीहरिदरप्साद अठघरा ) *** ५६७ (४) जीनर है ५०-गुरु-भक्ति ८५५-मचधा प्रगति ** (१ ) श्रीकृष्ण-खुदामा ““'* 7! ५७६ ५६-मानवता जीर शीरामी ३४गन८ «रूपए (२ ) एकलब्य ४1 ” ०७६ [ शुठ जीएन-खदना' ]( वम्श, « (३ ) आरुणि के ” ५७६. ५७-गौद़े प्रति निर्ययताश फआथ “० 7र (४ ) उपमन्यु ष * ५७६ [ पजायरेसरी मधरा ये २० | ६ *, 5 ५ १-भगवानके लिये बलिदान जीवन प्रसद्म ] (एज नल नआा (१ ) दानवोंके मध्य प्रह्यद 1 ७८४ [ प्रे> नक पशमगरशायदान 5९ ] (२ ) विषपान करती मभीरों * ५८४. ५८-दानउतारूप परत श (३ ) विपपान करते सुकरात * ५८४. ५९-स्वार्ध ही स्वा्भ क ३४ & तो पच्च-सची १-मानवदाफे सरक्षक भगवान्‌ विष्णु ( प० £६-णवाटपाव उसर राम ., «5 श्रीयमनारायणदत्तजी भाल्नी प्राम' ) 1 ( पनु० शीगमचाएणा 5 है रे २-जग-भूपण सच्चा मानव ४ *८-मानपनाओे दाद *० ३-जीवनदान ( श्रीसुमित्राननदनजी पत )..* २३. १८-मानयता ( चैनयो ये शत पए.७ ४ ४-मानवताकी मोंग * २४ शाग्री ) - ५-इसानका जन्म ( श्रीगोविन्दजी एमू० ए० ) २७ #६(-शयपार (नीडीपियि शल पा. 5 ६-पत्थरोंका उपाल्म्म ( श्रीवासुदेवजी गोस्वामी ) ४१ २०-पदि ( के आदिकुल्द 1 तो आब्ूल 6 न /ओ ७-पश्ञ तो न बनो ( भीमधुसूदन भी वाजपेर्पी 3 है ४४ सिड ऐ टच व्धालइ अल मु 4 ४ ८-मानवतावी पावनता ( भ्रौयुगल्सिटजी सोचो मे के बन हम एम्‌० ए०) बारएट-ला) विदावारिधि ) ** ५४७ :: कर पका हा. कह की... 55 ९-चार प्रकारकी मानवता ( तीचुद्धिपक्ागज गमा ऋातताओ ६६ उपाध्याय 'छुद्धदेव' ) | छुड:। आह पता तीस १०-संत-खमाव [_ सानवताशी चरम सीमा ] ४ ४- मायर पा हे दसेश गिनती 7 (भ्रीकेदारना थर्जी बदल, एम्‌ूज ए० एल्ज्टीजोी ६५ का] ११-मानव किधर £ ( सीसुदर्गनसिट्णी ). ३००... २४-मानवता गद ६ “पर * १२-उद्वोधन (शीसूर्यनाराग्गणी अव्यी पदिनेश') २६६. रघ्ज्डगगी एुष्णादिए + ( द ३-मानवता (स्व वीरबाला छुलछपेंड ). ** ६१९ गेल गा 6 सारा ५ १४-मानवता कहों है ! ( प* भोोताराननी है ) १२९. इज्ज्मानया ६ भीणराए्ी शए हर १५-मानव [ सानवता छोड़ नहीं (्‌ प० शंप्रिरश इट-डान्ते आभार ( शत >चा २ ४८ चन्द्रजी कविरत ) 1 २७५. २९-मानदतावासार ( ८७० फोर च्भार इक एणए




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