उक्राईनी लोक कथाएँ | UKRAINI LOK KATHAINSOVIET CHILDREN'S BOOK
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48 MB
कुल पष्ठ :
247
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भेडिया भी डर के मारे निकल भागा।
“नहीं, खरगोश , मैं उसे नहीं भगा सकता। उस जानवर से 9 डर लगता
है|! भेड़िया भी दुम दबाकर खिसक लिया। क्
खरगोश फिर पहले की तरह पेड के नीचे बैठकर रोने-पीठने लगा। अचानक
उधर से लोमड़ी गुज़री, उसने खरगोश को रोता हुआ देखकर पूछा:
“अरे, खरगोशवे, रो क्यों रहा है?”
“ लोमड़ी दीदी, मेरी झोंपडी में एक खतरनाक जानवर घुसा बैठा है! मैं
बेघर हो गया हूं। रोऊं न तो क्या करूँ? /
और लोमड़ी बोली:
“मैं उसे निकाल बाहर करूंगी!
“ भालू ने कोशिश की, लेकिन हार मान गया, भेडिये ने भी कोशिश
की , लेकिन दुम दबाकर भाग गया! आख़िर तुम उसे कैसे भगा सकती
है 11
“देख लेना , अगर निकाल बाहर न करूं! ”
लोमडी ने आवाज़ लगाई:
“ खरगोश की भोंपडी में कौन है?
तब बकरी अलावधर से बोली:
/ सबक बकरी , तकक् बकरी ,
बाल है मेरी उधड़ी-उधडी |
उल्हा-पुल्टा मेरा काम,
तीन टके है मेरा दाम।
दुम को अपनी हिला-हिलाकर ,
भारुंगी मैं रुला-दंलाकर ,
तुम्हें रॉदकर , कुचल-कुचलकर ,
सींग मारकर , तुम्हें फाडकर !
लडना-भिड़ना मेरा काम ,
होगा तेरा काम तमाम !
लीमडी थर-थर कांपने' लगी और वहां से निकल भागी।
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