आल्हा बम्बई का रक्त स्नान | ALHA - BAMBAI KA RAKH SNAN

Book Image : आल्हा बम्बई का रक्त स्नान  - ALHA - BAMBAI KA RAKH SNAN

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केदारनाथ अग्रवाल -KEDARNATH AGRAWAL

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बात कुमेटी कै, सबके सुन, अफसर हैगे बहुत बेहाल। पी० सी० दत्त का डिसमिस कीन्हेनि हड़तालिन का कमे मलाल॥ पै हड़तालिन के गुस्सा का ऐसा ऊपर पारा भाग। अस लागै कि ह्वातो है कुछ बरते है अब भारी आग॥ साथिव! तिनतरफा मोरचा का जहर से जादा परौ प्रभाव। खून जवानन का अस खौला खायेसि जैसे सिंह क ताव॥ बिन सोये सब रात बितायेनि मन मा सबके बहा तोफान। तरा तरा के सोहरत हेगैे अफसर तुलें हैं का प्रान॥ ना द्याहँ अब दाना पानी न द्याहैं अब बाहेर जायाँ। रोसभरे सबके चेहरन के दीवा कुछु-कुछ लाग बुतायँ॥ धीरज धारै मूँठी बाँधे वीर जवानन काटी रात। साहस उनका घटा न तनकौ वेसिज्ह जोर रहा अर्रत॥ दिल्‍ली माँ सब खबरें पहुँची ज्वान भये हैं हाथ बेहाथ। झंडा अफसर उड़िके आवा औरेव आयें वहिके साथ॥ तुरते एक कुमेटी बनिगे अफसर कीन्हेनि तहकीकात। ज्वानन के इजहार लिखेंगे, फेरि सुनायेनि आपन बात॥ जो जो काल शहर माँ भा है जो-जो भा है अत्याचार। झूठ बात है की हड़ताली ऊँ सबके हैं जिम्मेदार॥ हड़तालिन का दोख न कुछु है हड़तालिन ना कीन्हेनि मार। ऊँ तो संजम साथ रहे हैं संजम के हैं सब अवतार॥ बम्बई का रक्त-स्नान / 15




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