नव जनवाचन आन्दोलन | NAV JANVACHAN AANDOLAN

NAV JANVACHAN AANDOLAN by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaविभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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24, एक लड़की जिसे किताबों से नफरत थी मंजूषा पावगी मीना का घर किताबों से भरा था। लेकिन उसे किताबों से सख्त नफरत थी। परंतु एक दिन एक ऐसी अनूठी घटी जिससे यह सब कुछ बदल गया। उस दिन क्‍या हुआ? इस रहस्य को जानने के लिए इस सुंदर कहानी को जरूर ८ राशि : 15 रुपये 25. बहुत सारी मछलियां मिलिसेंट सेल्सेम नन्हे विली के पास कुछ पैसे हैं। उनसे वह कुछ सुनहली मछलियां खरीदता है। फिर एक-एक कर वह उन्हें रखने के लिए एक बड़ा मर्तबान, उनके खाने के लिए कुछ खास किस्म का चारा और कुछ दूसरी जरूरी चीजें भी खरीदता है। इस सब में उसके पिता उसकी मदद करते हैं। मछलियां पानी में ही क्‍यों रहती हैं? वहां वे सांस कैसे लेती हैं? वे खाती क्‍या हैं? उनकी जीवनचर्या क्या है? यह सब जानने के लिए पढ़िए इस पुस्तक के बीच पिता-पुत्र की बातचीत। सहयोग राशि : 25 रुपये ; 1 26. जिस रात पलंग गिर गया जेम्स थर्बर इस असंभव-सी लगने वाली घटना का माहौल बनाने के लिए जरूरी है कि फर्नीचर को यहां-वहां फेंका जाए, दरवाजे खड़काए जाएं, कुत्ते की तरह भौंका जाए ... पलंग क्‍या गिरा कि घर में चीख-चिल्लाहट शुरू हो गई, घर के लोग तरह-तरह की आशंकाओं से घिर गए और अफरा-तफरी मच गई। मां को लगा कि पिताजी परलोक सिधार गए। तन्‍्मय को लगा कि उसका दम घुट रहा है ... पर असल में हुआ क्‍या था? पढ़िए इस कहानी में। सहयोग राशि : 10 रुपये 27. बोलने वाली बिल्ली प्रस्तुतकर्ता : डी. के. जैन एक थी बिलली। उसका नाम था मिनको। एक थी बुढ़िया अपने घर-परिवार में अकेली। उसका नाम था टिमको। टिमको थी मालकिन और मिनको थी उसकी सहेली। यह बिल्ली बुढ़िया को हमेशा सलाह देती और उसके अकेलेपन को दूर करती। तो क्‍या मिनको उससे आदमी की भाषा में बात करती थी? हां। लेकिन कया बिल्ली ऐसी भाषा बोल सकती है? नहीं। पढिए इस मजेदार लोक कथा में आदमी और जानवर के संवाद का रहस्य। सहयोग राशि : 10 रुपये 29 28. चतुर बंदर दीप एक था बंदर और एक था सियार। दोनों गहरे दोस्त थे। दोनों जंगल में रहते थे। बंदर कई दिनों से भूखा था। वह गांव में गया और एक बनिये की दूकान में घुसकर खूब खाया-पीया। साथ ही बनिया, थानेदार और गांववालों को खूब छकाया, और सकुशल जंगल लौट आया। अब आई सियार की बारी। पर भई, नकल के लिए भी तो अकल चाहिए न? क्या-क्या हुआ सियार के साथ, पढ़िए इस कहानी में। सहयोग राशि : 10 रुपये 29. प्लास्टिक रे प्लास्टिक तू बड़ा फैंटास्टिक सुशील जोशी खिलौने, रस्सी, बाल्टी, बोतल, आदि-आदि सभी प्लास्टिक के। जिधर भी नजर दोड़ाइए प्लास्टिक से बनी कोई-न-कोई चीज दिख ही जाएगी। इस प्लास्टिक की भी अपनी कहानी हे, अपना इतिहास है। इसके गयदे-घाटे हैं। इस छोटी-सी पुस्तिका में दर्ज हैं प्लास्टिक के विकास और दखल से संबंधि त मनोरंजक जानकारियां। सहयोग राशि : 10 रुपये 30. मेंढक राजा सुकुमार राय इस संग्रह की दोनों कहानियां - 1. मेंढक राजा और 2. छाते का मालिक - मेंढक के इर्द-गिर्द बुनी गई हैं। मेंढकों को एक राजा की चाहत थी। मगर जैसे ही उन्हें राजा मिला वे उससे पिंड छुड़ाने को तड़प उठे। आखिर क्यों?... और जिसे लोग “मेंढक का छाता” समझे बेठे थे वह तो कुछ दूसरा ह ही निकला। तो फिर वह किसका छाता था?... इन सवालों के जवाब देती 10 रुपये. हैं ये रोचक कहानियां। 31. पप्पू की पतंग एलिजाबेथ मैकडोनॉल्ड पप्पू अपने घर के पास के टीले से पतंग उड़ा रहा था। अचानक हवा का एक हि तेज झोंका आया। पप्पू पतंग की डोर के साथ लिपटा खिंचता चला गया। वह डर के मारे 'बचाओ-बचाओ' चिल्लाने लगा। उसे बचाने के लिए दो और आदमियों ने डोर पकड़ी, पर पतंग के साथ वे सभी खिंचते चले जा रहे थे। फिर तो पप्पू और पतंग को बचाने के लिए तीन औरतें, चार घुड़सवार, पांच मछुआरे, छह किसान, सात वेटर, आठ नाविक, नौ ग्राहक और दस फॉयरमैन एक-एक कर पतंग की डोर पकड़ते गए। मगर क्या वे उन्हें बचा पाए? वे खुद भी बच पाए? पढ़िए इस मनोरंजक काव्य-कथा में। 30 सहयोग राशि : 20 रुपये




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