धम्मक धम | DHAMMAK DHAM

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पकौड़ी होली हाथ से उछली एक पेड जब हुआ पुराना मुँह में पहुँची ना कोई फूल ना कोई पत्ता पेट में जा ना कोई पंछी ना कोई गाना घबरायी पकौड़ी। एक पेड़ जब हुआ पुराना दौड़ी-दोड़ी 'होली आयी' बच्चे बोले आयी पकोड़ी। दिय घबराया पेड़ ना डोले मेरे मन को आयी करीब मौत और भी भायी पकोड़ी। गिर गये पत्ते बचे खुचे भी दौड़ी-दौड़ी लेकिन जब सब बच्चे आयें आयी पकौड़ी। बन उपवन के गीत सुनाये एक ही टूटी सूखी डाली छुन-छुन छुन-छुन कुस्डडी की ही हो गयी होली तैल में नांची, _ वनभोज हुआ ओर चले गये बच्चे प्लेट में आ पेड़ ने झुक कर देखा नीचे शरमायी पकोड़ी। पाँव तड़ के जो देखा उसने दौड़ी-दौड़ी छोटे चार पौधे नन्हे ! आयी पकोड़ी सर्वेश्वर दयाल सक्सेना




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