ठाकुर का आसन | THAKUR KA AASAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
145 KB
कुल पष्ठ :
9
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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विजयदान देथा - Vijaydan Detha
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बनिए का चाकर - विजय दान देथा
कोल्हू का बैल और बनिए का चाकर हर वक्त फिरते हुए ही शोभा देते हैं।
किसी एक सुहानी वर्षा की बात है कि बादलों की मधुर-मधुर गरज के साथ झमाझम पानी बरस
रहा था। चौक वाली बरसाली में सेठ जी के पास ही उनका नौकर मौजूद था। पानी बिना रुके बह
रहा है और यह ढूँठ की तरह खड़ा है, कैसे बर्दाश्त होता!
चौक में पत्थर की पनसेरी पड़ी थी। सेठ जी इसी चिंता में खोए थे कि नौकर को कया काम
बताया जाए। यह तो मालिक की तरह ही आराम कर रहा है!
पनसेरी पर नजर पड़ते ही तत्काल उपाय सूझा, चाकर की तरफ मुँह करके हुक्म सुनाया, खड़ा-
खड़ा देख क्या रहा है, यह पनसेरी अन्दर ले आ, बेचारी पानी में भीग रही है।
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