श्रेष्ठ कहानियाँ | SHRESHTH KAHANIYAN

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१८ शक लोटा पानी नहीं मार सकती |! राजा--समझा नहों माताजी! देवी--जों सबको 'शिव' देखता है, किसकी मजाल जो उसपर हाथ उठा सके। राजा--समझा नहीं माताजी ! देवी--यदि में न आती और तू तलवार चला देता तो यह तलवार तेरा ही मस्तक काट डालती | राजा--समझा नहीाँ माताजी! देवी--राजा ! तू नहीं पहचानता कि यही महात्मा दत्तात्रेय हैं जिनको भगवान्‌ और जगदगुरु-जैसे दो पद प्राप्त हैं । राजा--समझा नहीं माताजी ! देवी--इनके चरणकमलपर अपना सिर रख दो। आजसे इनको अपना गुरु मानना और इनके उपदेशसे जीवनका संचालन करना। राजा--( भक्तके चरण पकड़) क्षमा करो हे क्षमानिधान! देवी अन्तर्धान हो गयी। अमीरको उठाकर फकीरने छातीसे लगा लिया। पहले तो प्रजा दुःखके आँसू बहा रही थी, अब वह सुखके आंसू बहाने लगी।




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