अवधी कोष | Awdhi Kosh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
70.65 MB
कुल पष्ठ :
249
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री रामाज्ञा द्विवेदी 'समीर'- Shri Ramagya Dwivedi 'Sameer'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झतरब वि० श्० अंतर पढ़ना बीच में नागा पढ़ना प्रे०-राइब -उब वे ० अं स० अतर | ब्तरा सं० प ० दो चीजों के बीच का तग स्थान . कोना- वे ० झँ- सं० ंतर |. अतरि-खोतरि क्रि० वि कभी-कभी बीच-बीच में _ झंतर डालकर वे ०-रेरे व झं स० का । अतसि्या बि० ज्वर का वह प्रकार जो बीच में एक या दो दिन छोड़कर झाता है कि वि० बीच में एक दिन छोड़कर वै०-झा अ- . ्पतरी सं० खत्री अँटड़ी वे अँ स० अंत्र। _ब्य्तलस सं० प० एक म्कार का. रंगीन कपड़ा जो पहले खियाँ पहनती थीं ठाट-बाट की पे चचुनरी चुनरी- दो रंगीन कपड़े जो सघवाओं के मुख्य चिह्न हैं । झर० । व्यताय-पंछी सं० पुं० निःसहाय व्यक्ति १ ने सं पक्षी । ब्तिराब क्रि० अ० गयं . अति ? बतिसह वि० अतिशय -होब -करब दुःसह हो ना या दुमसह व्यवहार करना सं० अतिशय | ब्यतीरा दे० बतीरा अर० बतीरः (तरीका) । झअतुराइं सं० स्त्री आतुरता -करब जरदी करना परब सं० आतुर (दे०) । तू वि० बो० कुत्तों के बुलाने का एक शब्द प्प्लूग का ध्वन्यात्सक रूप जो दुहराकर अवू-अतू करके बोला जाता है । छोटे पिहले के लिए कूत-कूत कहते हैं । ब्त्ति सं० स्त्री चरम सीमा (प्रायः थझत्याचार आदि की) करब -होब झअसझ व्यवहार करना या होना सं ० अति । /श्रथइब क्रि० अ० दूबना (सूर्य चंद्र आदि का) _ दिन संध्या होना उ० साँक भद दिन धवन लागे (गीत) सं० झस्त न होब । अथक्क वि० पूं० न थकने वाला अथक स्त्री०- करना इतराना । सं० कि अथाह वि० पुं० अथाह स्त्री हि । सं० झ | झद्गा वि० पुं० बेदाग नया स्त्री ण्गि सं० _..... झनफा० दाग़। दे निदाग। ..... झ्दति सं० स्त्री वस्तु अर० अद्द । छाददूहा वि पुं० कमजोर रोगी स्त्री -ही दिट्दी _ झर०. अदद (संख्या) से शायद हा (वाला) . लगाकर गिने (दिन) वाला अथवा गिनती (के दिन) वाला (अरपायु) अर्थ हुआ हो वे ०- विदा झदना वि० पुं० छोटा नीच स्त्री०-नी -नी बात बाला घोटा बड़ा अर०। ... स०५ पू० डर आदर -करब -राखब अर ० । - दब पु दा निया र्शदराब क्रि० झ० आदर पाने छोटी बात पदनी छोटी-छोटी (दे० पदनी ) - बदाय क्रि० वि० जान बूककर) बिना भूले .. खेब देव सं० अधिक । [ अतरब-अधघकी झद (१)-- ० बद (ख़राब) के सं० झांय (चतुर्थी सक्ति) बद्मी स० पूं० आदमी । मर्दे-(दे० मर्द) अर० की इच्छा करना (नीचों या छोटों का ) इतराना परे ०-रवाइब - उब सं० झादुर । दल सं० पूं० न्याय जा ११ ३-छ-) ट ब्यदलतिहा वि० पुं० अदालत में राय जाने वाला मुकदमेबाज़ सभी ०-ही दे अदाखति। दल-बदल् सं० पुं० विनिमय -करब होब वें०- लाला स्त्री -ली-ली -लाई-लाई भर बदल परिवतन । च्द्हन सं० पु० पानी जो चूर्दे पर दाल या भात पकाने के लिए रखा जाय -देव घरब ऐसा पानी चढ़ाना मु० बहुत गर्म देह-भ है शरीर बहुत गर्म है सं० दह (जलना ) । ब्दों वि० दिया हुआ चुकता -करब -होब कऋण- मुक्त होना -होइ जाब परम त्याग एवं कष्ट करना फा० झद । द दान बि० पुं० अज्ञान नादान स्त्री नि सं० झअ+ फा० दान (दानिश नादान) | ब्दालतिं सं० स्त्री झदालत सुकदमेबाजी करब -होब वि०- दलतिहा (दें०) झर० | ब्दावति सं० स्त्री शब्ुता बेमनस्प करब दो य झर०-त (झदू न शत्रु) वि०नदुवतिह्ा। अदाह सं० प० बढ़ी झाग लागब -लगाइव थू०० दूह्ा (जौ०) सं० दाह । अदिन सं० पु० बुरा दिन संकट दे कुदिन घेरब - झाइब सं० अ-+- दिन मर की वि न देने वाला द्रिद्द सं० झ | देव ०) | देह वि० पुः० जिसका शरीर बहुत मोटा हो जो डी शरीर को सँभाल न सके ये०-है सं० थे +- हद ब्रा सं० पू० झा नक्षत्र पानी धरसानेवाला प्रसिद्ध १४ दिन का अवसर सं० । द्धा सं० पं झाधी बोतल शराब की छोटी बोतल सं० अरे । दर त ब्पद्वी स० स्त्री एक बारीक सफेद सलमलष का भेद सं० । ाघउखा सं० पुं० गन्ने का झाधा टुकदा स्त्री०- खी स० झघ॑--इछ ( अघ न ऊखि 0) दे उख़ुड़ि। .......... बधकचरा वि० पु० झाघा कच्चा आाघा पक्का झघूरा (काम) सं० अर + कचरब (दे०) (पहुं० 9 ९१३ झाघकरिया सं० स्त्री झाघे साल का लगान वे०-. . आ स० अजघ ने कर । ईद अघकी सं० पुं० अधिक मूल्य या चर सौख मॉगब -
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