नमस्कार चिन्तामणि | Namaskar Chintamani

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Namaskar Chintamani by श्री भंद्रकरविजय - Shri Bhandarkarvijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्रूंमिनकन द इस पुस्तक में 'नवकार महाभन्त्र' की सहिसा बड़े सुन्दर व्यसे वशित की गई है । न्वर्कार मन्त्र का महत्व, जाप करने की विधि, उसका लाभ आदि पर अत्यन्त सरल तथा रुबोंध भाषा सें प्रकाश डाला गया है । वम्तुत: जैन-समाज से भी अधिकांश ऐसे <यक्ति हैं, जो लवकार मन्त्र का जाप तो करते हैं, लेकिन उसके गूढाथ को नहीं समकते । मुम्े पूरा विश्वास है कि थ६ पुस्तक जैन तथा जैनेतर समाजजों के णिये बढ़ी उपयोगी सिद्ध होगी | ऐसे लोकोपयोगी प्रकाशन के लिए में व्यपको हादिक बधाई देता हूँ । , पुस्तक का अ+छुवाद झच्छा हुआ है। पढ़ने सें ऐसा लगता थक है मानों पुस्तक मूल रूप से ही लिखी गई है। जी यशपाल जब * ** *'.. (अख्यात साहित्यकार ) डे प्रमिश्राथ € मूल “नमस्कार घचिन्तामुि', मुनि श्री छुन्दूडन्दविजयजी ने सुजराती में लिखी है । पुस्तक की लकम्रियता से प्रभावित होकर शी चॉद्मल सीपाणी ने इसका दिन्दी में झनुवाद किया है । इसमें मन्नाघिर।ज 'नवकार' सच को विधिध रीति से व्यापकता एवं महा बताइ गई है । 'निवकार' मत्र के ध्रभी साधको के लिए यह झंथ झत्यन्त उपयोगी है। भाषा रोप्चक तथा मुद्रण उपस डर । श्रमसर भारती अक्टूबर १९७४ श्ड




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