धर्म चिन्तामणि | Dharma Chintamani

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Dharma Chintamani by पं. रघुनन्दन त्रिपाठी - Pt. Raghunandan Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घ हू 3 घर्मी दि सेघामधिको सिशेषो धर्सेंया हीसार पदसिर लाना; पे? यच् घर्म ज्ञाह्यण, चत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चार वर्ण तथा ब्रह्मचर्य, गाउंस्थ्य, बानप्रस्थ और संन्यास इन चारो आश्रसों के लिये मिल २ निर्दिप्ट है और सब आखसियों को उचित है कि अपने २ धर्म को धर्मशास्त्राहुसार समबस्क कर करें। इसी से ऐकलौंक्टिक तथा पारलौकिक कार्य सब सिद्द होते हैं। इसो धर्स की रक्षा के लिये सर्व्वान्तर्यामी परमेखर ने अपने सुख से ब्राह्मण, बाइ सें चतिय, जंघा ले वैश्य और पेर से शूटर को उत्पन्न किया है। यजुर्वेद-संचिता में सष्ट लिखा है :-- ' श्त्राह्मणोडस्य सुलमासी द्वाह्ह राजन्यः छत: । उरू तदस्य यद्ेश्यः पश्यां शूद्बोघजायत ॥” सच वर्ण और आखसियों के लिये सह जौ ने दश साघा- , रण धर्म लिखे हैं:-- ] “चूति;: क्षमा दमो5स्तेय॑ शौचमिन्द्रियनिझदः । थीर्विद्या सव्यमक्रोघो. दशक घम्मेलच्णम॥ चतुर्मिरपि.. चैवेतैरनित्यसाश्मिभिर्धिजैः _ ॥ दश लच्च॒ण को धर्म सेवितव्यः प्रयल्लतः ॥” अर्थौत्‌ १ पेय, २ क्षमा, ३ दम, ४ अस्तेय, ' ५ शौच, ६ इन्द्ियनिय्र्, ७ थी, ८ विद्या, «. सत्य और १० अक्रोध ! इन द्शों घर्सो' को बड़े यल्न से सेवना चाहिये। इन के साधन करने से अन्तःकरण निर्मल 'डोता है और खघर्मा-




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