मन्वन्तर | Manvantar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
563 KB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के
बहता, ले जीवन शिल्पी ने
किया रम्य निर्माण सुरोचन॥
हुई रूप की इच्छा जागृत ,
छलक पडा उर से भावाम्ृत ,
आदर हो गये पटआचोरें ,
शैल हो गये धन्य, समारत।
नव नव रगो में स्वरूप नव,
नव आलेस, प्राण नव चित्रित--
सध्या, उपा, अहनिश, उड़ शशि ,
अबर-सागर, दिशि पल शतशत ,
सग-म्ग, जीवनजतु, नर किन्नर ,
रूण, वीरुध, तरु, हिसनग अभिमत
राजा, रक, रूपसी तरुणी
सहज स्निग्ध सुपमा से पुलकित।
हुई रूप की, इन्छा जाग्रत
शाश्वत जीवन फो सुरक्षित कर
छलक पड़ा उर से भावाग्ृत।
* कण-कण रच जीवन का अंकन
क
किया पूर्ण, सर्वा ग सुशोभन ।
आज अजल्ता की भीतों से
लिपटा थुग युग का मानव मना
7 हास बिलास, अशु सिसफो सब
कहते नित्र आख्यान सनातन ।
अन्वस्तर
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