सूक्ति सुधाकर | Sukti Sudhakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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की. >क3+०करीक ३-० कमिक, हम -००क रि0-०-७- ७-०७ है ७ ५०-किककट,
विलासबिक्रान्तपरावराल्य॑ नमथदातिक्षणणे कृतक्षणम् ।
धरने मदीयं तव पादपछ्ूजं कदा नु साक्षात्कवाणि चक्षुपा॥#
कंदा पुनः शह्नस्थाड्कल्पकध्वजारविन्दाह्ुशवज़लाज्छनम् |
त्रिविक्रम त्वच्चरणाम्बुजह॒य॑ मदीयमूर्द्धानमलड्डरिष्यति ॥२९॥|#
विराजमानोज्ज्वलपीतवाससं सितातसीछनसमामलच्छविम् ।
निमप्रनामि तनुमध्यम्नुन्नतं विशालवक्षःख्यलशोमिलक्षणम् ॥#
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चकासत॑ ज्याक्रिणककंशः शुभैश्चतुर्भिराजानुविलम्बिभिश्ुजे! ।
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प्रियावतंसोत्पलकणभृूषणइलथालकाबन्धविमदेशंसिमिः ३१७
उदग्रपीनांसविलम्बिकुण्डलालकावलीजन्धुग्कम्बुकन्धरस् ै
नापनेवाले और प्रणतकी पीड़ाकी हरनेमे ही अपना प्रत्वेक क्षण
लगानेवाले मेरे पर्मधन आपके पादपड्ढजको, नेन्रोसे मे कब प्रत्यक्ष
देखूँगा १? ॥ २८ ॥ हे वामन | झद्भू) चक्र। कल्पदक्ष, व्वजा, कमल;
अड्डुद्, वच्र आदि शुम चिहाँवाले आपके चरणयुगल) मेरे मस्तकको कब
अलछ्ुत करेंगे ॥ २९ ॥ जिनके अज्ञॉपर निर्मल पीताम्बर शोभा पा
रहा है, जिनकी अमर इ्यामल कान्ति प्रफुल्ठित अतसी-पुग्पफे समान
सुन्दर है, जिनका देह ऊँचा, नामि गम्भीर; कटिदेश ( कमर ) सूक्ष्म
और विशाल वक्ष स्थल श्रीवत्सचिहसे सुश्नोभित हो रद्दया है [ ऐसे आपको
में कब अपनी सेवाद्वारा प्रसन्न करूँगा ? ]॥ ३० ॥ जो प्रियतमा छब्मी-
के शिरोभूपषण, कमछदलादि कर्मभूपर्णो तथा शिथिक अल्कबन्धक्े
विमर्दकी सूचना देनेवाले हैं, [ अति कोमल होते हुए भी ] झाज्जघनुपकी
प्रत्यश्याके चिहोंसे कठोर हो गये है, ऐसे आज़ानुल्म्बी मुन्दर चार
भुजदण्डोसे सुझोमित होनेवाडे आपको [ में कय प्रसन्न कर सर्कगा ?] ॥३१॥
उन्नत और पुष्ट कर्धोपर लय्कते हुए कुण्डल तथा अलकोसे जिनकी
# टोआटयन्दासन्वोत्राच, शों० 33, उक्त शप्शृ६ 1
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