भारतरत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का पुनर्मूल्यांकन | Bharatratan Baba Sahab Dr Bhimrao Ambedakar Ka Punarmulkayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कांग्रेस की स्थापना की परिस्थितियां, पुनर्जागरण, सामाजिक दशा, धार्मिक स्थिति तथा आर्थिक स्थिति की विवेचना प्रस्तत की गई है। तृतीय अध्याय में बाबा साहेब का पारिवारिक जीवन प्रस्तुत करते हुए महार जाति के इतिहास को स्पष्ट किया गया है। चतुर्थ अध्याय में बाबा साहेब की शिक्षा और अस्पृश्यता से साक्षात्कार की स्थिति को स्पष्ट किया गया है। इसमें बाबा साहेब की प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा जिसमें बड़ौदा के महाराजा तथा साहू महाराज का योगदान तथा आजीवन अस्पृश्यता के अपमान का बोध वर्णित है। पांचवें अध्याय में अस्पृश्यता और मनुवादी व्यवस्था के खिलाफ आजीवन संघर्ष वर्णित है। बाबा साहेब ने मनुवादी व्यवस्था के विरुद्ध जिस दीर्घकालिक संघर्ष को किया, वे सब विवरण इसमें हैं | छठवें अध्याय में बाबा साहेब के निजी जीवन और वैशिष्टपूर्ण जीवन-शैली को प्रस्तुत किया गया है। इसमें जहाँ एक ओर डॉ0 अम्बेडकर के व्यक्ति की विशेषताओं को प्रकाशन में लाया गया है वहीं दूसरी ओर विशिष्ट जीवन शैली की विवेचना प्रस्तुत की गई है| सातवें अध्याय में बाबा साहब के भारतीय राजनीति में अवतरण को स्पष्ट किया करते हुए भारतीय राजनीति में उनके विशिष्ट कार्यों, संघर्षो, योगदान को तर्को, तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। आठवें अध्याय में बाबा साहेब का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ सम्बन्ध जैसे- विवादस्पद प्रश्न की व्याख्या की गई है। इसमें सप्रमाण स्पष्ट किया गया है कि क्यों बाबा साहेब ने कांग्रेस का प्रबल विरोध किया तथा उसके अस्पृश्यता उन्मूलन कार्यक्रम की क्यों आलोचना क्र उसे अछूतों के साथ कांग्रेस का छल बताया। बाबा साहेब ने कांग्रेस के इस दावे का सप्रमाण लगातार विरोध किया कि कांग्रेस सबका प्रतिनिधित्य करती है। साथ ही साथ इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि बाबा साहेब. किन परिस्थितियों में और क्यों कांग्रेस में शामिल हुए तथा त्याग-पत्र दिए ।




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