औद्योगिक रुग्णता उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में | Auddogik Rugnta Uttar Pradesh Ke Vishesh Sansrbh Me
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.46 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
नाम- आशीष कुमार शुक्ल पुत्र श्री शोभा शंकर शुक्ल एवं श्रीमती हीरावती शुक्ला
जन्म – २१ - अगस्त – १९९०
जन्म स्थान - ग्राम - हरीपुर, पोस्ट- अभियां, जिला- भदोही
(२२१४०४) उत्तर प्रदेश
कार्यरत : (रसायन विभाग) डी.ए.वी. महाविद्यालय,
सेक्टर - १०. चंडीगढ़
आदर्श : प्रोफेसर के. एन. पाठक (पूर्व उप - कुलपति पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)
Mobile No.: 9878 53 7472
E-mail - ashishkshukla1990@gmail.com
सलाहकार : मयंक भूषण पाण्डेय (डी.ए.वी.चंडीगढ़)
वह अपने दादा पंडित श्री चंद्रबली शुक्ल के साथ सदैव धार्मिक कहानी सुनकर समय व्यतित करते थे| कवि जी इस समय डीएवी महाविद्यालय, चंडीगढ़ में कार्यरत हैं। वह अपना आदर्श
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ठि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के मिर्जापुर व सोनभद्र जिलों में पायी जाती है। इसमें नाइट्रोजन जीवांश फास्फोरस तथा चूने की मात्रा की कमी है। अतः यहाँ गेहूँ चना तथा दालें उगाई जाती है। मृदा अपरदन जल के बहाव से अथवा वायु के वेग से अथवा हिमपात एवं हिम पिघलने के फलस्वरूप एक स्थान विशेष की मिट्टी के अन्य स्थान पर चले जाने पर मृदा अपरदन कहा जाता है| प्रदेश के विभिन्न भागों में परत अपरदन पाया जाता है। इसको रोकने के लिए प्रदेश के सभी भागों में वृहद पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए । इसके साथ-साथ उपयुक्त भूमि उपयोग पर्वतीय क्षेत्र की सीढ़ीदार खेती बाढ़ वाली नदियों पर बाँध का निर्माण तथा पशुचारागाहों का निर्माण आदि किया जाना चाहिए । वानिकी उत्तर प्रदेश के अधिकांश वन तराई तथा भावर क्षेत्र में पाए जाते हैं | राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार भौगोलिक क्षेत्र के 33.3% भूभाग पर वन होना चाहिए। वर्तमान _ में प्रदेश में वनों से लगभग 19259 वर्ग कि०्मी० भूमि आच्छादित है। प्रदेश में तीन प्रकार के वन पाए जाते हैं (1). ऊष्णकटिबन्धीय नम पर्ण्पाती वन प्रदेश की तराई व भावर क्षेत्रों में जहाँ वर्षा का औसत 100 से 150 से०मी० है नम पर्णपातीं वन पाए जाते हैं । इसमें वृक्ष झाड़ियाँ बॉस के झुरमुट साल बेर गूलर पलाश तथा महुआ आदि उल्लेखनीय है । (2). ऊष्ण कटिबन्धीय शुष्क पर्णपाती वन प्रदेश के पूर्व मध्य एवं पश्चिमी मैदानों में इन वनों का विस्तार है। प्रमुख वृक्षों में साल पलाश अमलताश बेल अंजीर आदि है। नदी के किनारे पर नीम पीपल शीशम आम महुआ तथा जामुन आदि उल्लेखनीय है|
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