संदीपन पाठशाला | Sandipan Pathashala

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Sandipan Pathashala by ताराशंकर वंद्योपाध्याय - Tarashankar Vandhyopadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संदीपन पाठशाला : : २४ जांग्रत हो उठा । उन्होने कहा, हमारे गाव में स्कूल है--भद्र लोगो का गांव है लेकिन दाह णों के लड़हे, हमारे बेटे पदते-लिखते नही। सकल वनमे के बाद दो लड़के वीं. ए. पास कर चुके हैं, ओर कोई भी ऐंद्रान्त तक पास नही कर सका । पर, तुम लोग सीखी, तुम लोग बड़े होबो । यकायक सीताराम हाथ जोड़कर बोल पड़ा, मैंने नार्मेल पास किया है यह आपसे किसने बताया, यह मुझे नही मालूम, लेकिन मैंने दो वार परीक्षा दी है, पाप्त नही कर सका हूं । मणिलालवाबू अब विस्मित हुए 1 सीताराम ने कहा, तो अब में जाके २ मणिलालबाबू बोले, तुहारा कल्याण होगा। बाद मे मुझे मिलना 1 ्छ शीताराम भाग्य में विश्वास करता है। सभी सुख और दु स॒ के निमन्‍्ता के रूप में उससे भय भी करता है, भक्ति मी । अपने भाग्य को वहू बारस्वार प्रणाम करता है । आज के दिव के लिए इतनी तृप्ति, इतना आश्वासन, इतना आनन्द उसने संचित कर रखा था । सणिलालवाबू का वह आशीर्वाद और स्नेहपूर्ण वरताव ही सबकुछ नहीं, उसे और भी कुछ मिला। अपने कर्मेस्थल, जमीदार भवन में आकर लडको के पढ़ने के कमरे में उसने अपना सूटकेस रखा । यह यचहरी उसने इससे पूर्व भी देखी है। पहले भी वह यहाँ आया है । तब जमीदार बाबू जीवित थे। वे बड़े गम्भीर और भयंफर प्रकृति के ये। प्रताप और प्रतिप्ठा मे वे मणिलालबाबू के समकक्ष तो थे ही, तिस पर अपने महज सत्य आचरण और स्पष्टबादिता के कारण राभी के आदरणीय भी थे। विपयी व्यवित थे किस्तु कुटिलपंथा के पक्ष दाती नही ये ( विरोध ठन जाने पर वे जो कुछ करते कह-धुन कर करते थे और अन्याय चाहे किसी का भी हो और कही का भी हो, प्रतित्राद करते थे | सीताराम के मन में एक बात बड़े गहरे मे रेखांकित है। यहाँ यह कत्ल हुआ था, इस गाँव के और थाने के सामने । पुलिस ने सन्देहवश इसी गाव के दो भद्द सम्तानों को गिरफ्तार किया। भद्र सस्तानों में जो लोग शटाव पीकर गुडई की भेडेतीकर अपने को छोफनाक रूप में प्रतिष्ठित करना चाहते है, उन्ही में अमूल्य और भूपति को इस सिलसिले में पुलिस साहव मे पकड़ा और ग्रोंव के समाजपत्िियों को बुलवाकर इन सोगों के चरित्न के वारे में राय जानना चाही। इस घर के मालिक को भी बुलाया था | पूछ था, प्रमूल्य और भूष॑ति इन दोनों को कषाप जानते हैं? मे लोग शराब पीते हैं ? मालिक ने जवाब दिया था, हाँ जानता हूँ। दोनों हो गौव के रिश्ते मेरे नतेदार हैं भौर शराब पीते हैं। बंया ये भयानक प्रक्षति के हैं ? भयानक प्रकृति कहने से आपका तात्पये क्‍या है, २




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