ये कोठेवालियाँ | Ye Kothewaliyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पे कोवेवालियाँ रू रु
में प्राया कि उस समय की एक सुप्रस्तिद्ध फिल्म स्टार से सलोने जवान भते-मोते
सेठजी पर डोरे डाल रखे हैँ। स््लोर मनक भी पड़ो कि एक सोमान्तवासी म्यूशिक
डाइरेक्टर साहव ने झ्पती नवोदिता फ़िल्म स्टार पत्नो भी सेठजी पो ही सौंप
रखी है। सेठजी के पिता, चाचा भादि बड़े संस्कारों पुरुष थे; उन्हें इन बातों का
पता न था | सीमान्तवासो म्यूजिक डाइरेवटर महोदय मामूली नहीं वरन् सीमान्त
व्यभियारों स्ग्रौर गहरे घालवाद भो कहे जाते थे । जिस भवोदिता फ़िल्म स्टार
के वे पति कहलाते थे उत्तकी वेरया माठा के साथ भी किसो समय उनका ऐसा
ही सम्बन्ध वतलायां जाता था, फिर उसकी बड़ी बहन के साथ भी रहा | उस
म्यूजिक डाइरेक्टर को बरसों से जानने वाले लोग शुरू से ही वहा करते थे कि
यह पैठ को भ्रपने यहाँ बहुत बुलाता हैं, किसी सम्रय उन्हें भौधट पाट हो का
उतारेगा । यही हुप्ना भी | कहते हैँ कि उसने भपनी तथाकथित पत्नो के साथ
युवक सेठजो के प्रन्तरंग माते के कुछ फ़ोटो चित्र उतार लिए थे प्रौर उन्हें सेठ के
बाप बड़े त्ेठ को दिखाने तथा परायी पत्नी को भप्रवंघानिक रूप से प्राप्त करने
का ग्लारोप लगाकर भदालत में खुलेझाम मुकहुमा घलाने की धमकियाँ दैन्देकर
वह सेठजी से रुपया एँठता था। निर्माता भौर सैठजी के बीच ,में फूट भी उसी
के कारण पड़ी, भौर भी भनेक दन्द-फन्द हुएं। कम्पनी भागे चलकर यन्द
हो गई 1
महेशनी चूँकि निर्माता के भादमी थे इसलिए उन्हें नोटिस मित्र गया। मुझे
सेठजी वेतन दिलाते रहे | वेतन का कुछ भाग में प्रपने पास रखता, बाकी घर
भेज देता था। महेशजी के घर से कुछ झपया प्राने लगा। थोड़े बजट में हम
दोनों काम चलाने लगे। नवादी के दिन हवा हो गए; भव ने फ़िल्मों यार-दोस्त
भाते थे, न चार मोटरें घर के दरवाज़े पर सही होती थीं मौर न वह फिल्म-कला
प्रेमी भद्द युवतियों की सच्चरित्रता का बीमेदार वंगालो ही पाता था । ण्यों-ज्यों
दिन गुशरने सगे हमें साने के भी लाले पड़ने लगे | हमारे पास इतना ही बजट
था कि सुबह एक कप चाय के साथ चार कच्ची स््लाइसें सा लेते पे श्ौर शाम
को तोन प्राने में भाषा प्लेट मराठो 'खाणावल' (मोजनालय) का सस्ता मोटा
भ्रौर पानी के घूँटों उतरने वाला चावल | शाम को घाय को सलव हमें प्रश्सर
मारनी हो पड़ती थो। पान सिगरेट को पघ्ादत भो मजपूरों के भागे बुक गई ।
पैसे को प्राठ वीडियों में छः का तम्बाकू निकालकर दोड़ो वाले द्वारा दिये गए
मुफ्त के चूने या भक्सर दीवार के चूने को खुरथकर दम सुरती घूने को घुटको से
पान की तलव मिटाते थे। दिन को दो थोडढ़ियों में महेशजी को चचोर्तों सिगरेंटों
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